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रेगिस्तान में सोना है,पारखी नजर और संरक्षण चाहिए

इंटेक चेप्टर के कन्वीनर रावल किशनसिंह कहते है कि रेगिस्तान में हर कण-कण में सोना है। तेल और आर्थिक विकास के साथ विरासत का खरा सोना। लोक,कला, साहित्य और संस्कृति के इस बिखरे खजाने को समेटकर विश्व पटल पर सामने लाने की दरकार और जिम्मेदारी है।

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रेगिस्तान में सोना है,पारखी नजर और संरक्षण चाहिए

रेगिस्तान में सोना है,पारखी नजर और संरक्षण चाहिए

रेगिस्तान में सोना है,पारखी नजर और संरक्षण चाहिए
साक्षात्कार- रावल किशनङ्क्षसह, कन्वीनर इंटेक चेप्टर
बाड़मेर पत्रिका.
इंटेक चेप्टर के कन्वीनर रावल किशनसिंह कहते है कि रेगिस्तान में हर कण-कण में सोना है। तेल और आर्थिक विकास के साथ विरासत का खरा सोना। लोक,कला, साहित्य और संस्कृति के इस बिखरे खजाने को समेटकर विश्व पटल पर सामने लाने की दरकार और जिम्मेदारी है। इसको निभाना होगा। पत्रिका से सांस्कृति विरासतों के संरक्षण पर विशेष बात करते हुए उन्होंने कहा कि रेगिस्तान को आर्थिक विकास के इस दौर में सरकार सांस्कृति विरासतों के संरक्षण के लिए पूरी मदद करे तो पर्यटक खींचे चले आएंगे।
पत्रिका- बाड़मेर में पर्यटन विकास की संभावनाएं क्या है?
किशनसिंह- जोधपुर और जैसलमेर में इमारतें है। पर्यटन केवल इमारतें देखने ही नहीं आते बाड़मेर के धोरे, कला, साहित्य और संस्कृति बड़ी धरोहर है। इनके विकास के लिए साझा प्रयासों की दरकार है। किराडू मंदिर, सिलौर, दुर्गादास प्रोल, देवका सूर्य मंदिर, सिवाना, कोटड़ा और धार्मिक पर्यटन की असीम संभावनाएं है।
पत्रिका-इंटेक चेप्टर इसके लिए आगे क्या प्रयास करेगा?
किशनसिंह- इंटेक सांस्कृतिक विरासतों के संरक्षण के साथ ही यहां की संस्कृति से जुड़े कार्यों के लिए कार्य करेगा। पुराने तालाब, बावडिय़ा और किलों के अलावा रेगिस्तानी वनस्पति को लेकर भी कार्य किया जाएगा।
पत्रिका- मेलों को लेकर कोरोनाकाल में बड़ी मुश्किल है, इसको कैसे दूर किया जाएगा?
किशनसिंह-राज्यपशु का दर्जा मिलने के बाद ऊंट की स्थिति ठीक नहीं है। इसका उपयोग भी कम होने लगा है। बैल भी अब नहीं बिकते है। घोड़ों का शौक और जरूरत है। यह बड़ा प्रश्न है कि पशुधन के मेलों का संरक्षण कैसे हों ,इसके लिए नवाचार किए जाएंगे। गायों को मेलों में केन्द्र बनाया जाएगा ताकि थारपारकर नस्ल की गाय का वंश आगे बढ़े।
पत्रिका- बॉर्डर टूरिज्म बाड़मेर में संभावनाओं को बढ़ाता है क्या?
किशनसिंह- मुनाबाव का रेलवे स्टेशन, बॉर्डर में रण और यहां की लोक संस्कृति आकर्षित करती है। बॉर्डर टूरिज्म को सुरक्षा के सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ाया जा सकता है।
पत्रिका- पर्यावरण के हिसाब से विकास किस तरह परेशानी बना है?
किशनसिंह- विकास जरूरी है लेकिन सांस्कृतिक व विरासत का नुकसान नहीं हों। कई वनस्पति ऐसी उगा दी गई है जो रेगिस्तान के स्वभाव की नहीं है। यह हमारी जमीन का नुकसान कर रही है। इनकी जगह जाळ, नीम, धामण,खेजड़ी को पनपाया जाए जो हमारे रेगिस्तान से है।


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