
सूर्य नमस्कार करते हुए।
सूर्यासप्तमी पर 15 फरवरी को प्रदेश के विद्यालयों में प्रार्थना सभा के बाद सूर्य नमस्कार कार्यक्रम होगा। इसमें सभी विद्यालयों की भागीदानी सुनिश्चित की जाएगी। इसको लेकर राज्य सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। आयोजन वृहद स्तर पर होने से विद्यालय प्रबंधन तैयारियों में जुटा हुआ है। पूरी सूचना शाला दर्पण पर अपलोड होगी जिससे वर्ल्ड रिकॉर्ड पर नजर रहेगी। सूर्य नमस्कार सूर्य को नमस्कार या सूर्य के प्रति कृतज्ञता अर्पित करना है क्योंकि सूर्य की प्रत्येक किरण जीवित प्राणियों के लिए एक उपहार है। ऐसे में सूर्यासप्तमी के दिन प्रदेश के विद्यालयों में सूर्य नमस्कार का आयोजन बड़े स्तर पर किया जाएगा।
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शिक्षा संकूल परिषद ने जारी किए निर्देश- सूर्य नमस्कार का अभ्यास प्रार्थना सभा के दौरान करवा जाए। सूर्या अभयास करवाते समय सह शैक्षिक विद्यालयों में बालक-बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक व्यवस्था की जाए। शारीरिक शिक्षकों को प्रशिक्षित प्रशिक्षक प्रशिक्षण देंगे। 15 फरवरी को एक साथ सूर्य नमस्कार होगा जिसमें छात्र, स्टाफ, अभिभावक, एसएमसी सदस्य, अतिथि व ग्रामीण भाग लेंगे। सूर्य नमस्कार की बाहर मुद्राएं करवाई जाएगी। वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए संभागियों का डाटा संकलन शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से उसी दोपहर दो बजे तक अपडेट किया जाएगा।
सूर्य नमस्कार के लाभ- सूर्य नमस्कार पूर्ण साधना व आध्यात्मिक अभ्यास है जिसमें आसन, प्राणायाम, ध्यान व मंत्र की तकनीकें शामिल हैं। यह शरीर की अंत स्त्रावी, प्रजनन, परिसंधरण, श्वसन व पाचन तंत्र को सक्रिय करता है।
सूर्य नमस्कार को लेकर सावधानियां- हर्निया, रीढ़ की हड्डी में चोट, पेप्टिक अल्सर, मासिक धर्म की शुरुआत के दौरान सूर्य नमस्कार नहीं करना चाहिए। सूर्य नमस्कार की अवधि व चक्र का निर्धारण व्यक्ति की सुविधा के अनुसार किया जाना चाहिए।
सभी संस्था प्रधानों को निर्देश- सूर्य नमस्कार कार्यक्रम वृहद स्तर पर होगा। इसको लेकर प्रशिक्षित प्रशिक्षक शारीरिक शिक्षकों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। पूर्वाभ्यास करवाया जा रहा है। 15 फरवरी को बड़ा आयोजन होगा।- जेतमलासिंह राठौड़, एडीईओ माध्यमिक बाड़मेर
Published on:
03 Feb 2024 11:55 pm
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