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बाड़मेर

सुषमा के ऐतिहासिक निर्णय से राजस्थान की ‘रेशमा‘ को मिली थी जन्नत, खुले थे मुनाबाव के गेट

Sushma Swaraj Passes Away: विदेशमंत्री रहते हुए मानवीय संवेदनाओं के मुद्दों में हमेशा तत्पर रहीं सुषमा स्वराज ( Sushma Swaraj ) को सीमावर्ती बाड़मेर जिला कभी नहीं भुला पाएगा। बाड़मेर की अगासड़ी गांव की रेशमा ( Reshma ) के पाकिस्तान में निधन के बाद सुषमा स्वराज ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पहली बार किसी शव के लिए मुनाबाव बॉर्डर ( Munabao Border ) के गेट खोले और रेशमा का जनाजा भारत लाकर उसको गांव में सुपुर्द ए खाक किया गया…

बाड़मेरAug 07, 2019 / 10:14 am

dinesh

reshma

बाड़मेर। विदेशमंत्री रहते हुए ( sushma swaraj Passes Away ) मानवीय संवेदनाओं के मुद्दों में हमेशा तत्पर रहीं सुषमा स्वराज ( Sushma Swaraj ) को सीमावर्ती बाड़मेर जिला कभी नहीं भुला पाएगा। बाड़मेर की अगासड़ी गांव की रेशमा ( Reshma ) के पाकिस्तान में निधन के बाद विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने पत्रिका के समाचार अभियान से जुड़ते हुए न केवल ट्वीट किया लगातार उन्होंने मदद की। दोनों देशों ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए पहली बार किसी शव के लिए मुनाबाव बॉर्डर ( Munabao Border ) के गेट खोले और रेशमा का जनाजा भारत लाकर उसको गांव में सुपुर्द ए खाक किया गया।

बाड़मेर के अगासड़ी गांव की रेशमा पाकिस्तान अपनी बेटियों से मिलने गई थी,जहां उसका 18 जुलाई 18 को निधन हो गया। राजस्थान पत्रिका ने बाड़मेर की महिला का पाकिस्तान में इंतकाल, परिजन परेशान,शव कैसे लाएं भारत शीर्षक से 27 जुलाई को समाचार प्रकाशित किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने समाचार पढ़ते ही पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को ट्वीट किया और इसमें मदद का आग्रह किया। विदेशमंत्री के ट्वीट करते ही पाकिस्तान विदेश मंत्रालय हरकत में आया और रेशमा के शव को भारत ले जाने की परिजन को अनुमति दे दी,लेकिन यहां फिर समस्या खड़ी हो गई। परिजन के वीजा व अन्य दस्तावेज पाकिस्तान दूतावास में जमा थे। उस समय पाकिस्तान में चुनाव थे लिहाजा कार्यालय बंद था। पत्रिका की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक यह जानकारी पुन: पहुंचाई गई तो उन्होंने फिर मदद करते हुए पाकिस्तान में भारतीय दूतावास को अवकाश के दिन खुलवाकर परिजन को वीजा व अन्य दस्तावेज उपलब्ध करवाए।


इस तरह पहुंचा रेशमा का शव भारत
दस्तावेज मिलने के बाद परिजन शव लेकर रवाना हुए लेकिन थार एक्सप्रेस की रवानगी बॉर्डर से होने लगी। विदेश मंत्रालय तक प्रशासन ने बात रखी तो इसको फिर तवज्जो देते हुए थार एक्सप्रेस को रुकवा लिया गया। शव समय पर नहीं पहुंचा पाया और रेल को डेढ़ घंटे इंतजार बाद रवाना करना पड़ा। अब एक ही विकल्प बचा था कि मुनाबाव बॉर्डर के गेट खोलकर शव लाने की अनुमति मिले। फिर एक बार उम्मीद की किरण विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ही थी, पत्रिका से मिली जानकारी बाद विदेश मंत्री ने फिर ट्वीट किया।

 

स्वराज के हम सदा आभारी
अगासड़ी गांव के लोग सुषमा स्वराज के सदा आभारी रहेंगे। पत्रिका ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जिस तरह संवेदना के साथ मदद की कभी नहीं भूल पाएंगे। उनकी विशेष मदद से ही शव भारत पहुंचा।
– पूरसिंह राठौड़, अगासड़ी

 

दोनों देशों ने लिया ऐतिहासिक निर्णय
विदेश मंत्री की संवेदनशीलता और पाक में इस बात को लेकर पैरवी का नतीजा रहा कि दोनों देशों ने एक साथ 31 जुलाई को निर्णय किया कि मुनाबाव बॉर्डर के गेट खोल दिए जाएंगे। 1 अगस्त को पाक रेंजर्स रेशमा के जनाजे को कंधों पर उठाकर भारत लाए और सामने भारतीय बीएसएफ के जवानों ने शव को कंधों पर लिया। परिजन को शव सुपुर्द किया और रेशमा को उसके गांव अगासड़ी में सुपुर्द ए खाक किया गया। पूर्व विदेशमंत्री की संवेदना का नतीजा रहा कि उन्होंने पत्रिका के अभियान से जुड़ते हुए रेशमा को उसकी जन्नत नसीब करवाई।

 

पत्रिका के साथ संवेदना के साथ खड़ी हुईं थी पूर्व विदेशमंत्री
18 जुलाई 18 को रेशमा का पाकिस्तान में इंतकाल
27 जुलाई को पत्रिका में समाचार प्रकाशन
27 जुलाई को ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने किया ट्वीट
28 जुलाई को विदेश मंत्री के ट्वीट पर मिल गया वीजा, पाकिस्तान में छुट्टी के दिन खुले कार्यालय

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