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तंत्र-मंत्र-झाड़-फंूक वालों के पास नहीं कोरोना का झाड़ा

- जिले में 2500 से अधिक है तांत्रिक- हर गांव में भोपा और तांत्रिक के स्थान- कोरोना में नहीं मिल रहे है भक्त

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Tantra-mantra-chandeliers do not have corona dust

Tantra-mantra-chandeliers do not have corona dust

बाड़मेर.
तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक करने वालों के पास भी कोरोना का झाड़ा नहीं मिल रहा है। देवी-देवताओं से सीधा संपर्क और गुण-दोष के आधार पर लोगों को अंधविश्वास में लेकर इलाज करने वालों की हालत तो अब ऐसी पतली हो गई है कि मंदिरों के द्वार बंद है और कोरोना सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से भक्त न तो उनके दरवाजे आ रहे है और न ही वे उनके दरवाजे जा सकते है। कोरोना के इस काल में जादू-टोना-तंत्र-मंत्र के जाल से बड़ी संख्या में लोग निकलने लगे है।
बाड़मेर,जैसलमेर ही नहीं पड़ौसी सांचौर, जालौर से लेकर गुजरात इलाके तक तंत्र-मंत्र और झाड़ फूंक करने वाले हजारों लोग है। इनके अंधविश्वास में फंसे हुए लोग बीमारों का उपचार करवाने की बजाय इनके पास पहुुंच रहे थे और परीवारिक अशांति का हल से लेकर गड़ा धन दिलवाने का झांसा देने वालों की दुकानदारी आराम से चल रही थी लेकिन कोरोना के दौर ने इनको भी लपेट में ले लिया है। अब इनके पास कोरोना का कोई झाड़ा नहीं है। इसके लिए ये न तो इसे देवी-देवता का दोष बता पा रहे है और न ही यह कह पा रहे है कि इसका उपचार उनके पास में है।
मंदिर के साथ बंद हुआ चढ़ावा
कोरोना के दौर में मंदिरों को बंद कर दिया गया है। ऐसे में मंदिरों पर चढ़ावा करने के साथ ही खुद के चढ़ावे के लिए प्रेरित करने वाले तांत्रिक अब अंधभक्तों को यहां भेज ही नहीं पा रहे है। ऐसे में इनके पास अब यह तरकीब खत्म होती जा रही है।
बेरोजगारी का संकट बढ़ा
तंत्र-मंत्र के जरिए घर का गुजारा करने वाले इन तांत्रिकों के सामने भी अब बेरोजगार का संकट है। ऐेसे में ये भी अब नया रोजगार तलाशने की स्थिति में है। कोरोना के काल में इनका विश्वास भी अब अंधविश्वास से उठने लग गया है।
हर गांव में चार-पांच भोपे
जिले में 489 ग्राम पंचायते है और गांव में करीब 4-5 भोपे है जो अपनी भोपा डफरी चला रहे है। करीब 2500 से अधिक भोपों के लिए अब यह कहना भी मुनासिब नहीं हो रहा है कि कोरोना कब खत्म होगा और कौनसी तांत्रिक शक्ति इसको खत्म कर पाएगी।
जागरण बंद,कैसे आए देवी-देवता
अधिकांश भोपों ने देवी-देवता लाने का जरिया जागरण को बनाया है। ऐसे में इनके लिए अब जागरण बंद हो गए है। इन जागरण के बंद होने से उनके शरीर में बैठे बैठे देवता आने की स्थिति ही नहीं है। जागरण में पचास सौ लोग एकत्रित होते तो इसमें चार-पांच अंधविश्वास मे ंआते ही दुकानदारी चल रही थी।


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