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चिकित्सालय होने के बावजूद ग्रामीणों को नहीं मिल रहा उपचार !

चिकित्सकों के पद रिक्त होने से उपचार को लेकर हर दिन मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। अन्य शहर पहुंच उपचार लेना पड़ता है।

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The patient commits suicide by jumping from the hospital

विधानसभा व उपखंड मुख्यालय सिवाना स्थित सामुदायिक चिकित्सालय लंबे समय से चिकित्सकों की बाट जो रहा है। चिकित्सकों के पद रिक्त होने से उपचार को लेकर हर दिन मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। अन्य शहर पहुंच उपचार लेना पड़ता है। इससे समय,धन की व्यर्थ में बर्बादी होने के साथ मरीजों व परिजनों को कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है।

मरीजों को निराशा
चिकित्सालय में चिकित्सकों के पांच पद स्वीकृत है। लेकिन एकमात्र चिकित्सक ही कार्यरत है। कार्यरत चिकित्सक भी दंत रोग चिकित्सक है। इस पर मरीजों को विशेषज्ञ चिकित्सक की सेवाएं नहीं मिल पाती है। इस पर सिवाना व इससे जुड़े दो दर्जन से अधिक गांवों से चिकित्सालय पहुंचने वाले मरीजों को निराशा ही हाथ लगती है। मौसम में बदलाव पर इन दिनों उल्टी, दस्त, बुखार, पेट, जुकाम, बुखार, सहित मौसमी बीमारियों से ग्रस्ति मरीज चिकित्सालस पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन औसम 250 मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में एकमात्र चिकित्सक होने पर उपचार के लिए इन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है।

यह पद रिक्त
चिकित्सालय में स्वीकृत शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ , सर्जन चिकित्सक के पद रिक्त है। लंबे समय से पद रिक्त होने व सरकार के इन्हें नहीं भरने से आमजन परेशान है। खास बात है कि बीते डेढ़ वर्ष से मरीजों को एक्स-रे जांच सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। एक्स- रे मशीन खरीदने को लेकर विधायक ने विधायक नियतांश कोष से 20 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। लेकिन प्रशासनिक कारणों के चलते टेंडर प्रक्रिया में नई एक्सरे मशीन अटकी पड़ी हैं। इस पर डेढ़ साल से मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत मरीजों को एक्स-रे जांच सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है। चिकित्सक के एक्स-रे जांच लिखने पर उन्हें बाहर निजी प्रयोगशालाओं में महंगी दर चुकाकर जांच करवानी पड़ती है।


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