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2000 गांव ढाणियों में प्यास

-509 गांव में नहीं पानी का इंतजाम-902 ढाणियों में पेयजल की विशेष जरूरत-57 लाख पशुधन है जिले में - 30 लाख पार है आबादी - 2000 गांव ढाणियों में अभी पानी की भयंकर किल्लत

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Thirst in 2000 village dhanis

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बाड़मेर.
कोरोना में राशन और दवा का प्रबंध तो किया गया है लेकिन सीमावर्ती बाड़मेर जिले में गर्मियों का मौसम शुरू होने के साथ ही पानी की किल्लत ने लोगों की परीक्षा लेनी शुरू कर दी है। विभाग ने कोरोना स्पेशल कोई योजना नहीं बनाई है। दस दिन तक घरों में कैद रहे लोगों को अब प्यास घरों से बाहर निकालने की नौबत ला रही है। जिले में 30 लाख से अधिक की आबादी और 57 लाख पशुधन है। पशुओं के लिए पानी का प्रबंध करना यक्ष प्रश्न हो गया है।
बॉर्डर के रामसर, चौहटन, शिव, गडरारोड़ सहित मरूउद्यान क्षेत्र के गांव-ढाणियों में पानी की परेशानी बढ़ गई है। कनिष्ठ अभियंता और सहायक अभियंताओं के पद रिक्त होने से 200 से 300 गांव एक दो कर्मचारियों के भरोसे है, जिनको कॉल करने पर भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। कोराना के दौर में दस दिन तक तो लोगों ने सब्र किया लेकिन अब टूट रहा है।
यह है स्थिति
गडरारोड-

क्षेत्र के 200 गांव ढाणियों में पानी की भयंकर किल्लत है। गांवों में परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं है। हौदियां सूखी पड़ी है। पंद्रह दिन में एक बार आपूर्ति हो रही है जो पूरी नहीं पड़ रही है। पशुधन सर्वाधिक है, ग्रामीणों के लिए अब पशुओं को पालना मुश्किल हो रहा है। मुख्यालय पर कर्मचारी कम होने से 200 गांवों तक पहुंच भी नहीं बना पा रहे है। बिजली की आपूर्ति भी समय पर नहीं होने से लोगों को पानी नहीं मिल रहा है।
रामसर-
क्षेत्र के 100 के करीब गांव और ढाणियों में हौदियां सूखी पड़ी है। शिकायत करने पर जवाब नहीं मिल रहा है। कोरोना के इस दौर में घर से बाहर निकलकर मीलों चलकर पानी लाना पड़ रहा है। सरकार की ओर से पानी आपूर्ति का प्रबंध नहीं हुआ तो प्यास से इंसानों व पशुओं की हालत खराब हो जाएगी।

-शिव

क्षेत्र के दूरस्थ 100 से अधिक गांवों में पानी की भयंकर पीड़ा है। पंद्रह दिन से पेयजल आपूर्ति नहीं होने से लोग परेशान है। पानी का अन्य विकल्प भी नहीं है। वाहन चलने नहीं दिए जा रहे है। महिला-पुरुष पानी के लिए मीलों दूर जाने को मजबूर है। इस पर भी कोरोना का भय सता रहा है।

अभी विशेष योजन नहीं

अभावग्रस्त गांव ढाणियों में पानी की आपूर्ति की योजना है। कोरोना को लेकर अलग से योजना नहंी आई है। 509 गांव व 902 ढाणियों में पेयजल परिवहन के प्रस्ताव लिए गए है, जिसका अनुमोदन होना है। कनिष्ठ व सहायक अभियंता के पद रिक्त होने से परेशानी है। गर्मियों में पेयजल आपूर्ति की समस्या रहती है।- सोनाराम जाट, कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता


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