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प्यासों को नर्मदा से आस, नर्मदा खुद बजट बिना निराश

- 2013 अक्टूबर में प्रोजेक्ट हुआ प्रारंभ-2017 अक्टूबर में प्रोजेक्ट होना था पूर्ण- 2020 जून तक 58 प्रतिशत ही कार्य हुआ-600 करोड़ रुपए होने है खर्च- 280 करोड़ रुपए ही हुए है अब तक व्यय

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Thirsty hope for Narmada, Narmada budget without itself disappointed

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बाड़मेर .
सीमांत क्षेत्र के करीब 400 गांवों के लिए पेयजल समस्या के समाधान को 2013 में बना नर्मदा प्रोजेक्ट बजट के अभाव में अधर में लटक गया है। 2017 में प्रोजेक्ट पूरा होना था लेकिन 2020 तक 58 प्रतिशत ही काम हुआ है। अब तक पूर्ण हुए काम के लिए भी 80 करोड़ का तकाजा नर्मदा प्रोजेक्ट पीएचइडी से कर रहा है। इस गति से 2025 तक भी इस प्रोजेक्ट के पूरे होने के आसार नहीं है।
नर्मदा प्रोजेक्ट का उद्घाटन 2008 में सांचौर के पास में किया गया। इसके बाद चौहटन, रामसर और शिव तहसील के गांवों में यह पानी पेयजल को पहुंचना था। 2013 में रामसर व गडरारोड़ क्षेत्र में नर्मदा नहर का पानी पहुंचाने की योजना बनी। करीब 600 करोड़ के इस प्रोजेक्ट से 400 के करीब गांवों को जोडऩा था। वादा किया गया कि 2017 में पानी पहुंच जाएगा लेकिन स्थिति यह है अब तक 280 करोड़ रुपए ही प्रोजेक्ट के तहत मिले है, जिससे 58 प्रतिशत काम हुआ है। बजट नहीं मिलने से शेष काम अटका हुआ है।80 करोड़ अभी भी बकाया जलदाय विभाग से अभी प्रोजेक्ट को 80 करोड़ रुपए बकाया चल रहे है। इसका भुगतान करीब एक साल से नहीं हो रहा है। यह भुगतान होने के बाद शेष कार्य के लिए कंपनी आगे कार्य करेगी। अभी करीब एक साल से कार्य आगे नहीं बढ़ रहा है।
यह है स्थिति
अरणियाली के पास अगड़वा में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बना हुआ है । जहां से यह पानी पाइपलाइन के माध्यम से शुरू होगा। जो अगड़वा से धोरीमन्ना, मांगता, ईसरोल होते हुए मीठड़ाऊ, रामसर, बालेबा,जुडिय़ा, सुराली, गागरिया, गडरारोड़, जैसिंधर, मुनाबाव,सुंदरा, गिराब, खलीफा की बावड़ी ग्राम पंचायतों के सैकड़ों गांवो तक यह पानी पहुंचेगा।
भयंकर पेयजल किल्लत
रामसर क्षेत्र में इन दिनों अकाल में टैंकर्स से जलापूर्ति हो रही है। मरुउद्यान क्षेत्र के गांवों में मीलों पैदल चलकर पानी लाना पड़ रहा है। नर्मदा प्रोजेक्ट का कार्य शीघ्र पूर्ण नहीं होता है तो लोगों को यह समस्या लंबी झेलनी पड़ेगी।- हिन्दूसिंह तामलौर, सरपंच
क्षेत्र के सभी गांवों में पेयजल को लेकर परेशानी है। नर्मदा नहर का पानी 2017 में पहुंचने की बात हुई थी अब 2020 आ गया है। इस तरह सरकार बजट नहीं देगी तो सीमांत क्षेत्र के लोगों की समस्या का हल कैसे होगा?- समंदरसिंह फोगेरा, संयोजक स्वदेशी जागरण मंच
नर्मदा नहर का पानी ही सीमांत क्षेत्र के लिए पेयजल किल्लत का समाधान है। इसके लिए जरूरी बजट देकर तुरंत ही सीमांत क्षेत्र के लोगों की समस्या का समाधन किया जाए। राज्य सरकार यह कार्य बजट देकर एक साल में पूरा करवा सकती है।- प्रकाश भूतड़ा, गडरारोड़