
बाड़मेर. जनता की जान की चिंता ना ही सुरक्षा की गारंटी, यह नजर आ रहा है बाड़मेर शहर सहित जिले के पैंतालीस गांवों में। यहां डिस्कॉम ने हाई वोल्टेज जीएसएस बना कर खुले ही छोड़ दिए। इसके चलते हर वक्त घर-घर यहीं चिंता सताती है कि कहीं कोई जीएसएस की तरफ तो नहीं चला गया, क्योंकि वहां मौत जो मंडरा रही है। यह स्थिति लम्बे समय से होने के बावजूद डिस्कॉम है कि जीएसएस की चारदिवारी बनाने में रुचि नहीं ले रहा। स्थिति यह है कि छोटे-मोटे हादसे होने पर भी डिस्कॉम की नींद नहीं टूट रही।
सीमावर्ती जिले बाड़मेर में घरों को रोशन करने की कवायद में डिस्कॉम ने सुरक्षा को भी ताक में रख दिया है। यहां हाई वोल्टेज के 11 केवी, 33 केवी, 132 केवी आदि जीएसएस और विद्युत फीडर हैं। इसके चलते गांव और घर रोशन तो हो गए, लेकिन चारों आेर दीवार नहीं बनाने से ये खतरे का सबब बने हुए हैं। आसपास की घनी आबादी के बीच बने जीएसएस से हर वक्त खतरा मंडरा रहा है, लेकिन डिस्कॉम है कि इस आेर ध्यान ही नहीं दे रहा।
बीच शहर ताबूत, गांवों में भी खतरा
- बिना चार दिवारी के जीएसएस खड़ा करने का सबसे बड़ा उदाहरण बाड़मेर शहर के महावीर नगर में है। यहां बना जीएसएस घनी आबादी के बीचोंबीच है। दिन में बच्चे इसके आसपास खेलते हैं तो रात के अंधेरे में सैकड़ों लोग आवाजाही भी इसके पास से ही करते हैं। वहीं गांवों में धारणा, रोहिड़ा, धनाणियों की ढाणी, महावीर नगर बाड़मेर, देवड़ा, सणाऊ, ढोक, जानपालिया,जालीला, बीजराड़ सहित पैंतालीस जगह यह खतरा मंडरा रहा है।
कुछ की स्वीकृति आई
- जिले में करीब चालीस-पैंतालीस जीएसएस एेसे हैं, जिनकी चार दीवारी नहीं है। इनमें से कुछ की हाल ही में स्वीकृति आई है। शेष को लेकर भी विभाग प्रयासरत है कि जल्दी ही कागजी प्रक्रिया पूरी हो जाए और चार दिवारी का निर्माण हो जाए। चार दिवारी के बिना खतरा तो है ही, हम चाहते है कि हर जगह दीवार बना जनता को राहत दें।
- जगदीश सेठिया, कनिष्ठ अभियंता डिस्कॉम (सिविल विंग )

Published on:
01 Dec 2017 12:32 pm
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