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टिड्डी ने रोक दी कार्मिकों की तबादला सूची ! … अब करना पड़ेगा इंतजार

-टिड्डी नियंत्रण विभाग में दिसम्बर में होने थे स्थानांतरण-लगातार टिड्डी हमले के चलते अटक गई लिस्ट-अन्य राज्यों के कार्मिकों को लम्बे समय से था इंतजार

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टिड्डी ने रोक दी कार्मिकों की तबादला सूची ! ... अब करना पड़ेगा इंतजार

टिड्डी ने रोक दी कार्मिकों की तबादला सूची ! ... अब करना पड़ेगा इंतजार

बाड़मेर. लम्बे समय से स्थानांतरण सूची का इंतजार कर रहे टिड्डी नियंत्रण संगठन के कार्मिकों की उम्मीदों पर टिड्डी ने पानी फेर दिया। विभाग में दिसम्बर महीने में तबादला सूची जारी होनी थी। लेकिन दिसम्बर में भी लगातार टिड्डी हमलों के चलते स्थानांतरण सूची अटक गई। ऐसे में तीन-चार सालों से स्थानांतरण का इंतजार कर रहे कार्मिकों को अब इंतजार करना पड़ेगा
विभाग में राजस्थान के बाहर से लगे कार्मिकों को ट्रांसफ र लिस्ट का बेसब्री से इंतजार था। पिछले तीन-चार सालों से बाड़मेर-जैसलमेर सहित अन्य स्थानों पर लगे कार्मिकों को उम्मीद थी कि उन्हें अपनी पंसद की और घर के पास पोस्टिंग मिल जाएगी। इसलिए उन्होंने तैयारी भी कर ली थी कि दिसम्बर में तो उन्हें यहां से जाना ही है। इस बीच 15 दिसम्बर को हुए टिड्डी के बड़े हमले ने उम्मीदों पर तुषारापात कर दिया।
अभी नहीं आएगी लिस्ट
विभाग को अभी टिड्डी के और हमले की आशंका है। इसलिए ट्रांसफ र सूची आने की उम्मीद ना के बराबर ही है। कार्मिक फरवरी में ही ट्रांसफ र लिस्ट जारी होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
अक्टूबर-नवम्बर तक ही आती रही है टिड्डी
टिड्डी का हमला मई-जून से शुरू होकर अक्टूबर तक ही होता है। नवम्बर में तो बहुत कम हो जाती है। इस बार दिसम्बर में भी टिड्डी आ रही है। विभाग के कार्मिकों का कहना है कि टिड्डी लगातार आने से उनके स्थानांतरण की सूची रूकी है। टिड्डी नवम्बर के बाद नहीं आती तो दिसम्बर में कइयों का यहां से स्थानांतरण तय था।
इधर, मेलाथियान का लगातार संपर्क कर रहा बीमार
पिछले 7-8 महीने से लगातार टिड्डी के हमले हो रहे हैं। विभाग के कार्मिक नियंत्रण के लिए मेलाथियान का स्प्रे करते हैं। वहीं अधिकारी भी फील्ड में कहां-कहां स्प्रे हुए वहां जांच को पहुंच रहे हैं। इसके चलते लम्बे समय से मेलाथियान के संपर्क में रहने से अधिकांश कार्मिकों की हालत बीमारों जैसी हो गई। विभाग ने मेलाथियान स्प्रे करने वाले सभी कार्मिकों व अधिकारियों की खून की जांच करवाई है। वहीं संसाधन कम होने के कारण अवकाश भी नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते कार्मिकों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।