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1971 के युद्ध में उत्तरलाई ने दिखाया था अदम्य साहस

10 दिसंबर 1971 की सुबह 9.30 बजे को उत्तरलाई ने छक्के छुड़ाए थे पाकिस्तानी विमानों केवायुसेना दिवस विशेष-1971 में आईसी श्रीवास्तव ने बुलाई थी पहली बार जोधपुर से वायु ताकत

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1971 के युद्ध में उत्तरलाई ने दिखाया था अदम्य साहस

1971 के युद्ध में उत्तरलाई ने दिखाया था अदम्य साहस


बाड़मेर पत्रिका.
सीमांत क्षेत्र के उत्तरलाई वायुसेना स्टेशन के शौर्य और अदम्य साहस की अमिट छाप है 1971 का युद्ध। 10 दिसंबर 1971 की रात को उत्तरलाई से पाकिस्तानी विमानों को न केवल खदेड़ा गया ऐसी लड़ाई उत्तरलाई के छोटे विमानों ने लड़ी कि 3 दिसंबर 1971 से बाड़मेर पर लगातार बमबारी कर रहे पाक के छक्के छूट गए और तब से उत्तरलाई सीमा क्षेत्र का मजबूत हवाई स्टेशन बन गया है। वायुसेना के इस मजबूत रक्षक की ताकत हाल ही में एयर स्ट्रीप से इतनी बढ़ गई है कि सीमा क्षेत्र से तत्काल जवाबी कार्यवाही कर सकता है।
3 दिसंबर 1971 को चौहटन-पचपदरा क्षेत्र में पाकिस्तान की ओर से बमबारी हुई तो जिले में हड़कंप मच गया। बमबारी का जवाब देने के लिए बाड़मेर के पास उस वक्त जोधपुर का ही सहारा था। अभी यह घटना पूरी हुई ही नहीं थी कि 8 दिसंबर 1971 को बाड़मेर के रेलवे स्टेशन पर पाकिस्तान ने बमबारी कर दी।
एसपी शांतनुकुमार ने कलक्टर श्रीवास्तव को जगाया
बमबारी की यह घटना के समय करीब 11.45 बजे रात को तात्कालीन पुलिस अधीक्षक शांतनु कुमार ने जिला कलक्टर आईसी श्रीवास्तव को जगाया और रेलवे स्टेशन की घटना के लिए तुरंत चलने को कहा। उस वक्त जीप में बैठकर दोनों ही रात का ही पहुंचे।
जल रहा था स्टेशन
बाड़मेर का छोटा सा रेलवे स्टेशन जल रहा था और पास में ही गोदाम में आग लगी थी। यह आग रेल के डिब्बो तक थी। यहां बाड़मेर के लोग जमा थे लेकिन पानी की कमी के चलते आग पर काबू पाना मुश्किल था।
रेत से बुझाई आग
जिला कलक्टर आईसी श्रीवास्तव को बताया गया कि अब रेत से ही आग को बुझाया जा सकता है तो तुरंत उन्होंने रेत से भरा ट्रक लाने और इसक प्रबंध किया और आग पर काबू पाया गया।
जोधपुर से आए विमान और छुड़ा दिए छक्के
जिला कलक्टर आईसी श्रीवास्तव ने तुरंत इसके लिए जोधपुर में वायुसेना के लिए संपर्क किया और जयपुर में उच्चाधिकारियों को बताया गया। 9 दिसंबर को वायुसेना के विमान बाड़मेर पहुंचे। 10 दिसंबर को पाकिस्तान के विमानों ने सुबह 9.30 बजे ही उत्तरलाई की ओर हमला शुरू किया तो भारत के छोटे विमानों ने जवाबी कार्यवाही में ऐसी लड़ाई लड़ी कि अंतत: पाकिस्तान के विमानों के छक्के छूट गए।
पश्चिमी सीमा की मजबूत ताकत
उत्तरलाई वायुसेना के लिए 1971 की लड़ाई शौर्य की बड़ी उपलब्धि है। इसके बाद उत्तरलाई की ताकत को बढ़ाया गया है। हाल ही में भारतमाला रोड़ पर एयर स्ट्रीप बनने के बाद अब भारतमाला रोड़ की इस एयरस्ट्रीप से तुरंत ही विमान उड़ान भरकर पाक को जवाब दे सकते है।


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