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पिता चला रहे गाड़ी तो खाट पर बेटे के पास रहने को मजबूर मां

सबसे छोटे भाई खाट पर देखकर तीन बहन-भाई निराश

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सिणध्ररी बाड़मेर. खाट पर लेटा मासूम व पास में बैठी मां

रावताराम सारण

सिणधरी . जब एक मां के सामने उसकी कोख में 9 महीने बाद जन्मा बेटा अगर बड़ा होकर उसके सामने बोल और चल नहीं पा रहा हो तो उस पर क्या बीत रही होगी।

ऐसी कहानी सिणधरी उपखंड क्षेत्र के धने की ढाणी निवासी खेताराम पुत्र देवाराम की है। खेताराम जन्म से बोलने व चलने में निशक्त है, लेकिन सब कुछ सुन व देख पा रहा है। जानकारी के अभाव में माता-पिता कई बार अस्पताल लेकर गए लेकिन इलाज संभव नहीं हो पाया। उसके बाद 10 वर्ष बीतने को आए हैं लेकिन बेटा खाट पर ही लेटा है। पिता मजदूरी करने के लिए गाड़ी चलाते हैं लेकिन मां को हमेशा बेटे का ख्याल रखने के लिए पास में रहना पड़ रहा है। 10 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज दिन तक सरकारी नुमाइंदों ने खेताराम व उसके परिवार की ममदद को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया। एक तरफ सरकार हर गरीब को पेंशन देने की बात कर रही है, लेकिन यहां 10 वर्ष बाद भी पेंशन नसीब नहीं हुई।

भाई-बहन हो रहे निराश

खेताराम अपने चार भाई बहनों में सबसे छोटा है। वह जन्म से ही निशक्त होने से खाट पर ही लेटा रहता है। ऐसे उसके दूसरे भाई बहनों को बहुत निराशा होती है। निशक्त होने से उनके साथ खेल नहीं पा रहा है। अगर सरकार चाहे तो उसकी खुशियां भी लौट सकती

एक-दो बार गए अस्पताल, नहीं हो पाया इलाज

खेताराम के परिजनों का कहना है कि वह जन्म से ही निशक्त था। वे एक दो बार अस्पताल लेकर गए। जानकारी के अभाव में इलाज नहीं हो पाया, जिसके बाद वह खाट पर ही लेटा रहता है। खेताराम को निशक्त होने के नाते जो सुविधा सरकार से मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है। परिवार में बाकी सभी सदस्य अपने कामों में व्यस्त रहते हैं लेकिन मां को हमेशा अपने बेटे की फिक्र रहती है, जो किसी भी समय उसे छोड़कर नहीं जा सकती।
जन्म से शरीर में था हष्ट पुष्ट अब गिरने लगा स्वास्थ्यखेताराम के परिवार के सदस्य बताते हैं कि बेटा जन्म से शरीर में हष्ट पुष्ट था लेकिन अब धीरे-धीरे हेल्थ कमजोर होती जा रही है। शरीर में पूरी थकावट आ चुकी है। वहीं पैर व हाथ पतले होते जा रहे हैं। इसके चलते परिवार की चिंता बढ़ती जा रही है। अगर कहीं पर इलाज संभव होता है तो बेटे को सामान्य जीवन मिल सकता है।


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