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तड़पा देगा 48 से भी ऊपर जाने लगा जब पारा….समाधान है

जहां लाखों करोड़ का निवेश कर बाड़मेर में कोयला, तेल और रिफाइनरी से बाड़मेर विकास के पंख लगा रहा है वहां इन प्रोजेक्ट के कारण अंधाधुंध हुई पेड़ों की कटाई ने पर्यावरण संतुलन का संकट खड़ा किया है। बदले में पेड़ लगाकर देने के दावे तो हुए है लेकिन धरातल पर ये खरे नहीं उतर रहे है।

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तड़पा देगा 48 से भी ऊपर जाने लगा जब पारा....समाधान है

तड़पा देगा 48 से भी ऊपर जाने लगा जब पारा....समाधान है


बाड़मेर पत्रिका.
कोरोना में ऑक्सीजन की कमी और अब तापमान 48 डिग्री तक पहुंचना रेगिस्तान के धोरों के लिए बहुत ही संकट रहा है। जमीन के भीतर से तेल निकालने और अवैध खनन के साथ ही धरातल पर विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और पहाडिय़ों का नष्ट होना, नदियों में पानी की कमी, तालाबों का कम उपयोग, ओरण-गोचर पर संकट ने बाड़मेर जिले में के लिए आने वाले समय में ग्लोबल वार्मिंग का संकट तो खड़ा किया है। जरूरी है कि अब बाड़मेर को ऑक्सीजोन बनाने की ओर कदम बढ़े और जो कंपनियां यहां पेड़ों की बलि चढ़ाकर विकास की गति बढ़ाने का दावा कर रही है उनसे ही हर्जाने के रूप में अब ऑक्सीजॉन लिया जाए ताकि बाद में पछतावा न हों।
क्या है ऑक्सीजॉन
शहरों के पास में 50 से 60 एकड़ जमीन का ऐसा इलाका निर्धारित करना है जहां अंतरर्राष्ट्रीय मानक से ज्यादा पेड़ लगाए जाए। पीपल, नीम, अशोक बरगद, जामुन के पेड़ जो अत्यधिक ऑक्सीजन देते है इनको प्रचुर मात्रा में लगाकर इतना सघन किया जाए कि यहां गुजरने वाले को अहसास हों कि वह पेड़ों के बीच में है। साथ ही इसमें पानी, छोटी नहर और विज्ञान का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिए बॉटनिकल गार्डन बन सकता है। अलग-अलग भाग में फूल,औषधि और अन्य पशु-पक्षियों की उपस्थिति इसको और भी खूबसूरत बना सकती है।
1. बाड़मेर - पहाड़ी इलाका
शहर के एकतरफ पूरा पहाड़ी कुदरती इलाके में तीन बड़े तालाब जुड़े है। आबादी क्षेत्र के ठीक पीछे मजबूत पीठ बने पहाड़ी इलाके में पेड़ लगाने से बाड़मेर शहर में ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ ही तापमान की कमी हो सकती है।बाड़मेर पूरे शहर सहित उत्तरलाई तक का वातावरण ठीक कर सकता है। अवैध खनन का खतरा भी इन पहाडिय़ों से आने वाल समय में रुक जाएगा।
2. पचपदरा-बालोतरा- लूणी नदी
बालोतरा मेे लूणी नदी का पूरा इलाका है। बालोतरा शहर करीब पांच किलोमीटर की परिधि में बसा हुआ है और इसके एक किनारे पूरी लूणी नदी है। बालोतरा में लूणी नदी को ऑक्सीजॉन सेक्टर बनाकर बालोतरा, जसोल,पचपदरा, तिलवाड़ा तक ऑक्सीजन बढ़ाने के साथ ही तापमान कम किया जा सकता है।
3. जोधपुर-बाड़मेर ऑक्सीजोन
जोधपुर से बाड़मेर के बीच में जोजरी नदी का बहाव क्षेत्र है जहां से प्रदूषित पानी डोली गांव तक पहुंच रहा है। इस पूरे इलाके के किनारे-किनारे बहुत संख्या में पेड़ लगाकर यहां ऑक्सीजॉन बनाने की पूरी संभावना है। इससे बाड़मेर ही नहीं जोधपुर तक को फायदा पहुंचाया जा सकता है।
कौन करेगा मदद
- बाड़मेर शहर में कोयला और तेल से जुड़ी कंपनियां
-पचपदरा में 43129 करोड़ की रिफाइनरी के साथ जुड़े प्लान
- पेट्रोकेमिकल हब के साथ हों ऑक्सीजोन का प्रोजेक्ट जोधपुर जोजरी
- केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी(केन्द्र सरकार से प्रस्ताव लेकर)
- वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी(पर्यावरण के तहत कंपनियों को निर्देशित कर)
- मनरेगा में गांवों में छोटे ऑक्सीजोन का निर्माण ओरण की जमीन पर प्रशासन
- शिव इलाके में लगातार लग रही पवन चक्कियों के लिए पेड़ों की बलि ली जा रही है,इसके मुआवजे में ऑक्सीजोन तैयार हों
- बालोतरा वाटर पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड लूणी नदी के लिए ऑक्सीजोन तैयार कर सकता है
नर्मदा ने बनाया प्राकृतिक ऑक्सीजोन
रेगिस्तान में प्राकृतिक ऑक्सीजोन कहीं देखना है तो अब धोरीमन्ना से चौहटन तक देखा जा सकता है जहां नहरी पानी आने के बाद पेड़ों की एक लंबी कतार लग गई है। चारों तरफ हरियाली में लगे इन पेड़ों से ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ी है और अपेक्षाकृत रेतीले इलाके के यहां तापमान में भी कमी है।
- ओरण रही है प्राकृतिक ऑक्सीजोन


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