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काम पूरा, पैसा फंसा… ठेकेदार रोज पूछते हैं, उधारी कब चुकाओगे सरपंच जी

राजस्थान सरकार द्वारा पंचायतीराज के आगामी चुनाव एक साथ करवाने के लिए सरपंचों के कार्यकाल को बढ़ाया गया था।

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फोटो पत्रिका

बाड़मेर/ बालोतरा। राजस्थान सरकार द्वारा पंचायतीराज के आगामी चुनाव एक साथ करवाने के लिए सरपंचों के कार्यकाल को बढ़ाया गया था। इसके छह महीने से ज्यादा बीत चुके हैं और दिसंबर-जनवरी में चुनाव प्रस्तावित हैं, लेकिन महात्मा गांधी नरेगा योजना में बीते तीन वर्षों से निर्माण सामग्री मद का भुगतान नहीं होने से सरपंचों की परेशानी बढ़ गई है। बाड़मेर-बालोतरा जिले में 732.80 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है। ठेकेदार बार-बार भुगतान मांग रहे हैं और सरपंचों को जवाब देना मुश्किल हो गया है। हालात यह हैं कि कई सरपंचों ने मोबाइल नंबर तक बदल लिए हैं।

सरपंचों ने गांवों के विकास के लिए जो कार्य स्वीकृत करवाए और पूरे करवाए, उनके भुगतान को लेकर अब संकट खड़ा हो गया है। एक-दो नहीं, बल्कि तीन वर्षों से भुगतान अटका है। वर्ष 2022-23 का 10.50 लाख, वर्ष 2023-24 का 258.67 करोड़ और वर्ष 2024-25 का 463.61 करोड़ रुपए अब भी बकाया है। निर्माण सामग्री मद में टांका, ग्रेवल सड़क जैसे पक्के निर्माण कार्य हुए हैं, लेकिन इनका भुगतान नहीं हुआ।

सिर्फ आश्वासन मिला

सरपंच जिला मुख्यालयों से लेकर जयपुर तक के चक्कर काट रहे हैं। पंचायत समिति, जिला परिषद कार्यालय, जिला कलक्टर और पंचायतीराज विभाग में अनेक बार मौखिक और लिखित में अवगत करवाने के बावजूद कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। अधिकारियों की ओर से सिर्फ आश्वासन दिए जा रहे हैं।

जवाब देना मुश्किल हो गया है

तीन वर्षों का भुगतान अब भी लंबित है। कुछ राशि दी जाती है, बाकी अधूरी रह जाती है, जिससे जवाब देना मुश्किल हो गया है।

चैनकरण करणोत, प्रशासक, ग्राम पंचायत कनाना

यह देश की सबसे बड़ी योजना है, लेकिन सामग्री मद की अटकी राशि से सरपंच परेशान हैं। समाधान की बजाय केवल आश्वासन मिल रहे हैं।

लीला हुड्डा, प्रशासक, ग्राम पंचायत सांभर

कई बार जयपुर जाकर पंचायतीराज मंत्री, प्रमुख शासन सचिव, शासन सचिव को समस्या बताई। शीघ्र भुगतान को लेकर केवल झूठे आश्वासन मिले हैं। इससे प्रदेश के हजारों सरपंच परेशान हैं। सरकार शीघ्र भुगतान करे।

रोशन अली छिपा, प्रदेश अध्यक्ष, सरपंच संघ, जयपुर

बड़े उत्साह से काम पूरे करवाए, लेकिन भुगतान नहीं मिलने से अब भारी संकट है। जिनसे काम करवाया वो अब हमसे भुगतान के बारे में बार-बार पूछते हैं।

डालूराम प्रजापत, प्रशासक, मंडापुरा