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स्कूल फीस नहीं जमा करने पर किसी विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकते स्कूल

-जबलपुर हाईकोर्ट ने जारी की थी गाइडलाइन

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Schools cannot deduct a student's name for not depositing school fees

स्कूल फीस नहीं जमा करने पर किसी विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकते स्कूल

बड़वानी/सेंधवा. स्कूल फीस नहीं जमा करने पर किसी विद्यार्थी का नाम नहीं काट सकते स्कूल। जबलपुर हाईकोर्ट ने पिछले दिनों इंदौर पालक संघ के अंतरिम आवेदन में की गई प्रार्थना को स्वीकार करते हुए आदेश दिया था कि फीस भुगतान नहीं करने पर भी स्कूल किसी छात्र या छात्रा का नाम काट नहीं सकता। पालक संघ ने अपने आवेदन में इस बात का जिक्र किया था। स्कूल फीस जमा नहीं करने पर विद्यार्थियों का नाम फिलहाल नहीं काटा जा सकता। कोरोना संक्रमण के कारण कई महीनों से स्कूल बंद है, लेकिन कुछ स्कूलों द्वारा पालकों को फीस के लिए फोन किए जा रहे हैं।

मप्र शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा अप्रैल माह में गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके अनुसार लॉकडाउन अवधि में पालक द्वारा गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों की फीस के भुगतान के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए थे। इसके अनुसार कोरोना महामारी के बीच गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों की फीस के भुगतान तथा इन विद्यालयों के शिक्षकों आदि के वेतन भुगतान के संबंध में सीबीएसई को प्रस्तुत किए गए ज्ञापनों के संदर्भ में निर्देश जारी किए गए थे। जिसमें कहा गया था कि आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए अशासकीय विद्यालयों द्वारा कोई शुल्क वृद्धि नहीं की जा सकती है। इसके अलावा चालकों को पीस के एकमुश्त अदायगी के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

निजी विद्यालय द्वारा पाठकों की सुविधा अनुसार मासिक रुपया न्यूनतम 4 किस्तों में फीस ली जा सकेगी। फीस जमा ना किए जाने के कारण किसी भी विद्यार्थी का नाम विद्यालय से कांटा नहीं जा सकता। शासन के निर्देशों के अनुसार निजी स्कूलों को अपने द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई की अनुमति दी गई है या ऐसी किसी भी गतिविधि को वह जारी रखने के लिए तैयारी कर सकते है। हालांकि इस विशेष व्यवस्था के लिए अतिरिक्त फीस नहीं ली जा सकती। विद्यालयों में कार्यरत शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक स्टाफ को नियमित रूप से वेतन भुगतान किए जाने के निर्देश भी मिले है। हालांकि अधिकतर स्कूल सीमित लोगों से सेवाएं ले रहे है। वर्तमान की परिस्थिति को देखते हुए सीबीएसई द्वारा जारी की गई पुस्तकों के अतिरिक्त किसी अन्य पुस्तक को क्रय करने के लिए अभिभावकों को बाध्य नहीं किया जा सकता।