
स्वत्रतंता सेनानी मुक्तिलाल मोदी
शाहपुरा। देश की आजादी के लिए कई वीर सपूतों ने संघर्ष करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया था। इस स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में हम पाठकों को देश की आजादी में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के अनुभव और संघर्ष की कहानियों के बारे में बताएंगे। इस कड़ी में अमरसर निवासी स्वतंत्रता सेनानी रहे मुक्ति लाल मोदी के भतीजे 70 वर्षीय कैलाश मोदी से चर्चा की तो उन्होंने अपने ताऊ के स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े कई किस्से सुना दिए। पेश है कुछ अंश---
दो माह जेल में रखा बंद, दी गई यातनाएं
स्वतंत्रता सेनानी मोदी के भतीजे कैलाश मोदी ने बताया कि उनके ताऊ मुक्ती लाल मोदी कई बार सत्याग्रह आंदोलन, जेल में दी जाने वाली यातनाओं और संघर्ष से जुड़े किस्से सुनाया करते थे। उनके मुताबिक ताऊ बताया करते थे के अंगे्रजों की हुकूमत के दौरान भारत छोडो आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों को कड़ी यातनाएं दी जाती थी। कई बार बैल गाड़ी में जोतकर चलाया जाता था। जिससे लोगों के दिल में डर बैठा रहे और आंदोलन में शामिल नहीं हो। उन्होंने आजाद मोर्चा के गठन के बाद वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का जयपुर में प्रचार-प्रसार किया। इस आंदोलन के चलते स्वत्रंतता सेनानी मोदी को अंगे्रजों ने गिरफ्तार कर लिया। यहां से उनके अण्डमान निकोबार ले जाकर 2 माह तक जेल में बंद रखा। यहां उनको काफी यातनाएं दी गई।
आजादी का जुनून इतना कि शादी तक नहीं की
सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अमरसर निवासी स्वतंत्रता सेनानी मुक्तिलाल मोदी का जन्म वर्ष 19 जून 1919 में अमरसर कस्बे के एक साधारण परिवार में हुआ। बचपन से ही देश की आजादी का जुनून था। करीब 19 वर्ष की उम्र में ही वे सत्याग्रह आंदोलन में शामिल हो गए और दो बार जेल भी गए। मोदी पहली बार 1938 में और दूसरी बार 1939 में सत्याग्रह के कारण जेल गए। उनके युवा होते ही शादी के लिए कई जगह से रिश्ते भी आए, लेकिन उनके दिल में देश की आजादी का जूनून था, इसलिए शादी से इनकार कर दिया।
रखते थे 5 फीट के गड्ढे में, पैर फैलाकर सो भी नहीं पाते थे
भारत छोडो आंदोलन में शामिल क्रांतिकारियों को कड़ी यातनाएं देने के लिए अण्डमान निकोबार ले जाया जाता था। यहां जमीन में 5 फीट गहरे और इतनी ही चौड़ाई के गड्डे में रखा जाता था। स्वतंत्रता सेनानी मोदी को भी २ माह तक यहीं रखा गया। क्रांतिकारी भारत माता की जय लगाते तो उनको कई दिन तक भूखा व प्यासा भी रखा जाता।
चार बार विधायक भी रहे
स्वत्रतंता सेनानी मोदी चार बार विद्यायक भी रहे है। मोदी पहली बार 1952 में बैराठ विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इसके बाद 1957 में भी बैराठ से, 1962 व 1985 में कोटपूतली से विधायक बने। उन्होंने विधायक रहते हुए कोटपूतली, विराटनगर, शाहपुरा, अमरसर सहित आस पास के क्षेत्र में काफी विकाश कार्य भी करवाए। उनकी पुण्य तिथि पर दिसम्बर माह में कस्बा स्थित धोबीघाट समाधिस्थल पर ग्रामीणों की ओर से रामधुनी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। साथ ही परिजनों की ओर से कस्बे के चौकी का बड़ खेल स्टेडियम में किक्रेट प्रतियोगिता का आयोजन भी करवाया जाता है। इसमें प्रदेशभर की कई टीमें हिस्सा लेती है।
-मोदी का भतीजा अपने परिवार के साथ ।
Published on:
14 Aug 2018 07:19 pm
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