17 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

नई पीढ़ी के लिए शिक्षण संस्थानों में बेहतर माहौल तैयार करना छात्र नेताओं की जिम्मेदारी : सिद्धार्थ सोनी

छात्रों के हक के लिए एक छात्र नेता को बड़े से बड़े स्तर पर उनकी आवाज बननी चाहिए। पद मिलने पर उस पद का घमंड ना होकर उसे जिम्मेदारी मान कर काम करना चाहिए।

less than 1 minute read
Google source verification
नई पीढ़ी के लिए शिक्षण संस्थानों में बेहतर माहौल तैयार करना छात्र नेताओं की जिम्मेदारी : सिद्धार्थ सोनी,नई पीढ़ी के लिए शिक्षण संस्थानों में बेहतर माहौल तैयार करना छात्र नेताओं की जिम्मेदारी : सिद्धार्थ सोनी

नई पीढ़ी के लिए शिक्षण संस्थानों में बेहतर माहौल तैयार करना छात्र नेताओं की जिम्मेदारी : सिद्धार्थ सोनी,नई पीढ़ी के लिए शिक्षण संस्थानों में बेहतर माहौल तैयार करना छात्र नेताओं की जिम्मेदारी : सिद्धार्थ सोनी

जयपुर। कॉलेजों में छात्रों के लिए काम करते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए बेहतर माहौल को तैयार करना हर छात्र नेता की जिम्मेदारी होनी चाहिए। यह कहना है पूर्व छात्र नेता वह कांग्रेस नेता सिद्धार्थ सोनी (Siddharth Soni) का। एक कार्यक्रम में उन्होंने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में आने वाली नई पीढ़ी के समग्र विकास में छात्र नेताओं की भागीदारी के बारे में बताया।

उन्होंने बताया कि छात्रों के हक के लिए एक छात्र नेता को बड़े से बड़े स्तर पर उनकी आवाज बननी चाहिए। पद मिलने पर उस पद का घमंड ना होकर उसे जिम्मेदारी मान कर काम करना चाहिए। अपने समय में मैंने एनएसयूआई में रहते हुए राज्य भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्रों के हित के लिए अभियान चलाए। 2015 में मैं एनएसयूआई राजस्थान में राज्य सचिव भी रहा हूं और 2020 से कांग्रेस सेवा दल का अध्यक्ष भी रहा हूं। संगठन में जिम्मेदारी देकर हमेशा मुझ पर विश्वास जताया और हर छात्र की समस्याओं को अपनी समस्या मानकर उसके लिए जुटने की खूबी के कारण मैं हमेशा संगठन की उम्मीदों पर खरा भी उतरा।

वह सिद्धम संस्थान के संस्थापक भी हैं, जो जरूरतमंद लोगों के लिए एनजीओ है। एनजीओ के माध्यम से सिद्धार्थ (Siddharth Soni) ने बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल बनवाए हैं, जिनके पास बड़े स्कूलों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए पर्याप्त धन नहीं है, सिद्धार्थ (Siddharth Soni) ने ऐसे छात्रों के लिए स्कूल बनाए हैं, जो इन स्कूलों में पढ़ाई कर सकते हैं। उनका मानना है कि अगर हम वर्तमान पीढ़ी को बेहतर शिक्षा मुहैया कराएंगे तो वे महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में बेहतर प्रदर्शन करने के काबिल होंगे।