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कागजों में ही सिमटे सैटेलाइट टाउन- ग्रोथ सेंटर, जयपुर स्टेट कैपिटल रीजन का इंतजार

जयपुर के आस पास 11 कस्बों को जयपुर के सैटेलाइट टाउन और चार गांवों को ग्रोथ सेंटर के रूप में किया जाना था विकसित। दस साल बाद भी नहीं बदली सूरत।

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कागजों में ही बनकर रह गए सैटेलाइट टाउन, जयपुर स्टेट कैपिटल रीजन का इंतजार

कागजों में ही बनकर रह गए सैटेलाइट टाउन, जयपुर स्टेट कैपिटल रीजन का इंतजार

अभिषेक सिंघल
जयपुर. राजधानी के आसपास बसे कस्बों को सैटेलाइट टाउन बनाने की योजना बनाकर उसे दाखिल दफ्तर कर दिया है। इससे राजधानी पर बढ़ते संसाधनों के दबाव को कम करने के इरादे पूरे नहीं हो पा रहे हैं। जेडीए ने 2011 में मास्टर प्लान 2025 लागू किया था। इसमें जयपुर जिले के 15 कस्बों को सैटेलाइट टाउन व चार गांवों को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित करने की योजना थी। दस साल बाद भी हालात यह हैं कि जेडीए की ओर से इन गांवों और कस्बों को विकसित करने की दिशा में विशेष कार्य नहीं हो सके हैं।
राज्य सरकार ने भी इनके समेकित विकास को लेकर कोई प्लान नहीं बनाया है। वर्ष 2011 में ही जयपुर के आस- पास के क्षेत्र को नेशनल कैपिटल रीजन के अनुरूप ही स्टेट कैपिटल रीजन घोषित किए जाने की मांग भी की गई थी। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। जेडीए ने अपना क्षेत्र बढ़ाते हुए इन गांवों व कस्बों को अपने क्षेत्र में भी ले लिया है। लेकिन यहां संसाधन विकास और इनकी जयपुर से बेहतर पहुंच बनाए जाने के लिए कुछ विशेष प्रयास नहीं किया गया है।


नए मास्टर प्लान की तैयारी का आया वक्त
जेडीए ने मास्टर प्लान 2025 को वर्ष 2011 में पेश करते समय इसके वॉल्यूम-३ में इन सभी कस्बों व गांवों के संसाधनों, स्थिति, बिजली, पानी, परिवहन वर्तमान भू-उपयोग का विस्तृत वर्णन करते हुए इनके लिए भविष्य में भू-उपयोग, परिवहन एवं पर्यावरण व अन्य मापदंडों के लिए नीति व सिद्धांत प्रतिपादित किए थे। इस पर तो काम हुआ, लेकिन उलटे अब तो नए मास्टर प्लान को तैयार किए जाने का वक्त आ गया है।


इनको किया था शामिल
मास्टर प्लान के मुताबिक अचरोल, भानपुर कलां, जमवारामगढ़, बस्सी, कानोता, वाटिका, बगरू, कालवाड़, कूकस, जाहोता और चौमूं को सैटेलाइट टाउन के साथ ही बगवाड़ा, चौंप, पचार और शिवदासपुरा व चंदलाई को ग्रोथ सेंटर के रूप में विकसित किया जाना था।


जयपुर से कम होता दबाव
सैटेलाइट टाउन विकसित होने पर राजधानी जयपुर से दबाव कम होता। राजधानी जयपुर के ज्यादा आबादी वाले इलाकों से परिवार बाहर की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। ऐसे में यदि सैटेलाइट टाउन पूरी तरह से विकसित हो जाएं और उनकी जयपुर से कनेक्टिविटी बेहतर हो जाए तो लोग रहने और आर्थिक गतिविधियों के लिए इन कस्बों को प्राथमिकता देंगे।
कनेक्टिविटी सबसे महत्वपूर्ण इश्यू
इन सैटेलाइट कस्बों में रहने की सुविधाओं जैसे अच्छी सड़क, अच्छे पार्क, शॉपिंग सेंटर्स, मॉल, स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ ही इनकी जयपुर से कनेक्टिविटी बड़ा मुद्दा है। अपने वाहन से जयपुर आने जाने पर लोगों को भारी ट्रैफिक के दबाव से गुजरना होगा। ऐसे में मेट्रो या मोनो रेल से इन कस्बों को जोडऩे से इनकी जयपुर से कनेक्टिविटी बेहतर हो सकेगी।


आंकड़ों बता रहे हैं क्यों है शहरीकरण की जरूरत...
-590 मिलियन लोगों का शहरों में निवास होगा
-10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 68 शहर हो जाएंगे
-70 फीसदी नए रोजगार शहरी इलाकों में पनपेंगे
-2.5 बिलियन वर्ग मीटर अतिरिक्त सड़क क्षेत्र की आवश्यकता होगी
-7400 वर्ग किलोमीटर में मेट्रो रूट व सब-वे बनाने होंगे
-700-900 मिलियन वर्ग मीटर क्षेत्र वाणिज्यिक व रिहायशी के लिए डवलप करना होगा
(मैकेन्सी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की ओर से जारी वर्ष 2030 तक देश में शहरीकरण के लिए जरूरत, इसी आधार पर सैटेलाइट टाउन को अधिक विकसित करने जरूरत जताई गई)
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इनका कहना है...
सैटेलाइट टाउन समय की जरूरत है। किन वजहों से देरी हुई इसका संबंधित अधिकारियों से पता करेंगे। जल्द ही इस पर काम भी शुरू करवाएंगे ताकि लोगों को सहूलियत मिल सके।
—गौरव गोयल,जेडीसी

बगरू को सैटेलाइट टाउन के लिए हजारों बीघा जमीन जेडीए के नाम दी गई लेकिन अभी तक सुविधाओं का विस्तार नहीं हुआ। सरकारी कॉलेज, अस्पताल व पार्क के लिए भी जगह नहीं है। ना ही सेक्टर रोड बनी हैं। ऐसे में सैटेलाइट टाउन का सपना कैसे पूरा होगा।
- राजेश शेखावाटिया, समाजसेवी बगरू

कालवाड़ को सैटेलाइट टाउन बनाने की योजना अभी कागजों में ही है। अभी लोग मूलभूत सुविधाओं के ही इंतजार में हैं। कालवाड़ में सीवरेज लाइन, बीसलपुर परियोजना का पानी जैसी घोषणाओँ पर दूर-दूर तक अमल नजर नहीं आ रही। पचार गांव को ग्रोथ सेंटर बनाया जाना था लेकिन वह योजना भी परवान नहीं चढ़ पाई है।
- सुंडाराम चौधरी, कालवाड़