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कुदरत ने छीनी रोशनी अब किरण की उम्मीद, स्वस्थ जन्मीं तीन बेटियां हुई दृष्टि बाधित,पिता दिव्यांग

रायसर के कुशलपुरा गांव का मामला: सरकारी मदद का नहीं सहारा, कैसे मिटे अंधकार?

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बस्सी

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Vinod Sharma

Jan 07, 2018

Kudrats chisel light now hopes for Kiran

राहुलकुमार गुप्ता
गठवाड़ी (जयपुर)। तीन दृष्टिबाधित बेटियां, पैरों से दिव्यांग पति सहित छह लोगों के परिवार के लिए दो जून की रोटी का जिम्मा है चार बेटियों की मां के कंधों पर। आर्थिक दृष्टि से बेहद कमजोर इस परिवार पर नियती का कहर कुछ इस कदर ढहा कि स्वस्थ जन्म लेने वाली तीन बेटियां एक से डेढ़ साल की उम्र में दृष्टि बाधित हो गई। पति जन्मजात अस्थि दिव्यांग है।

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ये दर्दभरी दास्तां है जमवारामगढ़ के रायसर स्थित कुशलपुरा गांव निवासी संती देवी की। इस परिवार का दर्द यह है कि दिव्यांगों एवं गरीब परिवारों के लिए बनी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिली, लेकिन अब भी परिवार को सरकारी मदद व किसी फरिश्ते की मदद का इंतजार है। संती देवी के दिव्यांग पति राजेश मीणा ने बताया कि चार बेटियों में से पांच साल की खुशी, तीन साल की नेहा व करीब डेढ़ वर्षीय पूजा दृष्टि बाधित है। वहीं एक बेटी तमन्ना की दृष्टि बाधित होने के बाद मौत हो गई। एक बेटी सात वर्षीय लक्की ही ठीक है और वह यहीं राजकीय विधालय में तीसरी कक्षा में पढ़ाई कर रही है।

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मां सन्ती का पूरा दिन बेटियों की देखरेख में ही बीतता है। परिजनों ने बताया कि जन्म के समय चारों बेटियां भी ठीक थी, लेकिन जन्म के कुछ माह बाद अचानक उनकी आंखों की रोशनी चली गई। कई अस्पतालों में इनका उपचार भी करवाया, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। परिजनों ने बताया कि बड़े अस्पतालों में चिकित्सकों के पास उपचार करवाने पर उन्होंने महंगा खर्चा बता दिया। जिसे परिवार वहन करने में सक्षम नहीं है।

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प्रशासन भी कर रहा दरकिनार

राजेश ने बताया कि उसे विकलांग होने के बावजूद पर भी पेंशन नहीं मिलती है, दृष्टि बाधित दिव्यांग बेटियों को पेंशन का सहारा भी नहीं है। बेटियों के कागज व प्रमाण पत्र बनाने के लिए कई बार जयपुर सहित जमवारामगढ़ व अन्य सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा चुका लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। विकलांगता व आर्थिक तंगी की वजह से तीनों दिव्यांग बेटियों को एक साथ कहीं लेकर भी नहीं जा सकता। पिछले दिनों जमवारामगढ़ पंचायत समिति में आयोजित हुए विशेष योग्यजन शिविर में आवेदन किया था, लेकिन वहां भी कागजी खानापूर्ति कर घर भेज दिया गया।

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शिविर बने खानापूर्ति
जानकारी के अनुसार दृष्टि बाधित दिव्यांग बेटियों के पिता राजेश ने पिछले दिनों 17 नवम्बर को जमवारामगढ़ पंचायत समिति सभागार में आयोजित विशेष योग्यजन शिविर में भी बेटियों का प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आवेदन किया था, लेकिन वहां से भी उसे जांच रिपोर्ट लाने का हवाला देते हुए चिकित्सकों ने टरका दिया। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों आयोजित विशेष योग्यजन शिविरों में दिव्यांगों का चिह्नीकरण कर चिकित्सकों द्वारा मौके पर ही प्रमाणीकरण करना था, लेकिन चिकित्सकों ने कई लाभार्थियों को पहले की जांच रिपोर्ट लाने का हवाला देते हुए टरका दिया। ग्रामीणों ने मामले की जांच करने की भी मांग की है।

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शिविर में चिकित्सक की ओर से विकलांगता की जांच मौके पर की जाती है। अगर शिविर में चिकित्सकों ने योग्यजन को टरकाया है तो गलत है। मामले की जांच करवाते हैं।
राजेश कुमार मीणा, विकास अधिकारी, जमवारामगढ़

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ऐसा मामला पहले मेरी जानकारी में नहीं आया। अगर ऐसा है तो इसके लिए टीम गठित कर पीडि़त परिवार की प्रशासन की ओर से हर सम्भव सहायता की जाएगी।
नरेन्द्र कुमार मीणा, उपखण्ड अधिकारी, जमवारामगढ़