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Ram Mandir: अयोध्या गोलीकांड मामला, बस्सी के कारसेवक मुकेश जागेटिया बोले- भीषण सर्दी में 6 दिन तक घास बिछाकर सोना पड़ा

Ram Mandir: 1992 में अयोध्या कार सेवा करने गए बस्सी के कार सेवकों को 5-6 दिन तक कड़ाके की सर्दी में घास बिछाकर सोना पड़ा लेकिन उनका कार सेवा करने का जुनून इतना था कि वह सारी पीड़ा सह गए।

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बस्सी

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Nupur Sharma

Jan 15, 2024

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Ram Mandir: 1992 में अयोध्या कार सेवा करने गए बस्सी के कार सेवकों को 5-6 दिन तक कड़ाके की सर्दी में घास बिछाकर सोना पड़ा लेकिन उनका कार सेवा करने का जुनून इतना था कि वह सारी पीड़ा सह गए। अयोध्या में 1992 के कार सेवा के दौरान बस्सी के कार सेवकों की टोली भी 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे पर चढ़ गई और कार सेवा की ।

बस्सी से 10 कारसेवक रवाना हुए अयोध्या
पुराने संस्मरण सुनाते हुए बस्सी के कार सेवक और राष्ट्रीय स्वयं संघ के बस्सी खण्ड संचालक मुकेश जागेटिया ने बताया कि वह 1990, 1992 और 2001 मे तीनों ही बार कार सेवा में अयोध्या गए । 1990 में बस्सी से करीब 10 कार सेवक अयोध्या के लिए रवाना हुए थे । उस दौरान मुलायम सिंह सरकार की सख्ती और पुलिस प्रशासन की रोक के कारण उन्हें झांसी में ही रोक दिया गया और अयोध्या नहीं जाने दिया गया । उस दौरान बस्सी के रतनलाल जागेटिया , रमेश चेचाणी, मोहनलाल रेगर, हरिगोपाल वैष्णव जरूर अयोध्या पहुंचने में सफल रहे। यह चार कारसेवक सरुयु नदी के तट तक ही पहुंच पाए और उनको पुन वापस लौटा दिया गया ।

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अयोध्या से 10 किलोमीटर दूर स्टेशन पर रुके
1990 में मुलायम सिंह सरकार के दौरान कई कार सेवक पुलिस की गोलीबारी में मर गये तथा कई लाठीचार्ज से लहूलुहान हो गए । 1992 में चित्तौड़गढ़ से 35 लोग व बस्सी से 45 जनों का एक दल साथ में होकर अयोध्या में कार सेवा करने गए। उस दौरान कार सेवकों की वाहिनी प्रमुख सामरी के कैलाश गुर्जर थे, वहीं से सह वाहिनी प्रमुख बस्सी के मुकेश जागेटिया थे। बस्सी से गए 45 जनों में तीन महिलाए भी शामिल थी । मुकेश जागेटिया ने बताया कि 1992 में ट्रेन से बस्सी से कोटा होते हुए अयोध्या के लिए रवाना हुए जहां पुलिस प्रशासन ने अयोध्या से 10 किलोमीटर दूर सोहावल रेलवे स्टेशन पर उन्हें रोक दिया।

कड़ाके की सर्दी में घास बिछाकर सोना पड़ा
पुलिस की रोक के बावजूद चित्तौड़गढ़ और बस्सी का 80 जनों का दल 30 नवंबर को अयोध्या पहुंच गया। अयोध्या में तुलसी मंदिर विद्यालय में सभी अलग-अलग राज्यों के कार सेवकों के ठहरने की व्यवस्था थी । कड़ाके की सर्दी में बस्सी के कार सेवको को 6 दिनों तक घास बिछाकर ही सोना पड़ा । 30 नवंबर से 5 दिसंबर तक सभी कार सेवक ने अयोध्या में विभिन्न स्थानों पर घूमे । 5 दिसंबर शाम को घोषणा हुई की सभी कार सेवक 6 दिसंबर को विवादित ढांचे के वहां इकट्ठा होंगे और कार सेवा करेंगे।

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6 दिसंबर को सभी कार सेवक विवादित ढांचे के वहां पर इकट्ठा हुए , जहां पर अशोक सिंघल, साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती, आदि आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के वक्ताओ के भाषण चल रहे थे। इसी दौरान कार सेवकों का एक जत्था विवादित ढांचे की तरफ बढ़ गया । पहला जत्था जो विवादित ढांचे के अंदर घुसा उसमें बस्सी के 10-15 कार सेवक भी थे। इस दौरान कई कार सेवक कंटीले तारों से होकर विवादित ढांचे में घुसे जो लहूलुहान हो गए लेकिन कार सेवकों ने इसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं की । बस्सी के कार सेवक भी विवादित ढांचे के ऊपर चढ़ गए। 6 दिसंबर को शाम 5 बजे तक पूरा विवादित ढांचा ढहा दिया गया । इसके बाद सब अपने-अपने टेंट में लौटकर खाना खाकर पुन वापस विवादित ढांचे के वहां पर गए । वहा मलबा हटाकर चबूतरा बनाया, जिस पर रामलला की मूर्ति को स्थापित किया ।