
शाहपुरा में हाईवे पर सड़क किनोर ट्रक की मरम्मत करते मिस्त्री।
जयपुर दिल्ली राजमार्ग स्थित शाहपुरा प्रदेश में ट्रांसपोर्ट हब के रूप में पहचान रखता है, लेकिन यहां सरकार की ओर से सुविधाएं विकसित नहीं करने से ये इलाका आज भी सुविधाओं के इंतजार में है। जबकि यहां ट्रांसपोर्ट व्यवसाय ने 50 हजार से अधिक लोगों को रोजगार दे रखा है। इसके बावजूद जिम्मेदारों ने इसकी सुध नहीं ली। शाहपुरा इलाके में वर्तमान में 10 हजार से अधिक ट्रक हैं, जो प्रदेश सहित दूसरे राज्यों में माल ढुलाई करते हैं। स्थानीय लोगों के रोजगार का यह प्रमुख व्यवसाय होने के बाद भी यहां ट्रांसपोर्ट व्यवसाय व इससे जुड़े लोगों के लिए कुछ नहीं हो पाया। वर्ष 2019 के बजट में ट्रांसपोर्ट नगर की घोषणा हुई थी। बाद में इसको विकसित करने के लिए करीब 30 करोड़ का बजट भी स्वीकृत किया, लेकिन अभी तक ये धरातल पर नहीं आ पाया। नगरपरिषद द्वारा कुछ ट्रांसपोर्ट नगर में भूखण्डों की नीलामी की कार्रवाई की थी। शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र में ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से करीब 50 हजार से अधिक लोगों की रोजी रोटी जुड़ी हुई है। हाईवे पर टायर पंच, पार्ट्स, टायर ट्यूब, ग्रिस, बाडी निर्माण से लेकर वाहनों की मरम्मत कार्य से लेकर सैकड़ों वर्कशॉप व दुकानें खुली हुई है।
एक राज्य से दूसरे राज्य में करते है माल ढुलाई
ट्रांसपोर्टर महेन्द्र सिंह पलसानियां, हरिनारायण चौधरी, सूर्यप्रकाश आदि ने बताया कि शाहपुरा क्षेत्र से जयपुर दिल्ली नेशनल हाईवे गुजरने व क्षेत्र में पानी की कमी के चलते लोगों का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय बन गया। यहां के ट्रक, ट्रोले जो कि एक राज्य से दूसरे राज्य में भाडे (किराया) पर माल ढुलाई का काम करते है।
दूसरे राज्यों में खोली ट्रांसपोर्ट कंपनी
ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाने वाले सुभाष पोषवाल, धोलूराम, हंसराज ने बताया कि शाहपुरा क्षेत्र के कई ट्रांसपोर्टरों ने गुजरात, इंदौर, मुम्बई, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में ट्रांसपोर्ट कंपनी खोल रखी है। जो कि कमीशन एजेंट का काम करते है। कमीशन एजेंट ट्रक व ट्रोलों में बड़ी कंपनियों से माल भरवाने का काम करते है। मोटर मालिक को भाडा दिलाने की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्ट कंपनी की होती है।
ट्रांसपोर्ट नगर नहीं हो पाया विकसित
ट्रक यूनियन के पूर्व अध्यक्ष शिवराम पलसानिया, साधुराम पलसानिया ने बताया कि शाहपुरा ट्रांसपोर्ट का हब बन चुका है, लेकिन ट्रांसपोर्ट नगर का सपना अधूरा है। सरकार ने भले ही ट्रांसपोर्ट नगर स्वीकृत कर दिया है, लेकिन आज तक ट्रांसपोर्ट नगर विकसित नहीं हो पाया। वाहन मालिक सुविधाओं को मोहताज हो रहे है। ट्रांसपोर्ट के जरिए लाखों रुपए का टैक्स के रूप में राजस्व भी देते है उसके बाद भी सरकार का सुविधाएं देने की तरफ कोई ध्यान नहीं है।
हाईवे पर ही वाहनों की मरम्मत
ट्रांसपोर्ट नगर विकसित नहीं होने से वाहन चालक अपने वाहनों का शहर के बायपास पर हाईवे पर ही वाहनों को खड़ा करके मरम्मत आदि कार्य करवाते है। हाईवे पर वाहनों की आवाजाही लगी रहने से मिस्त्रियों के साथ हादसे होने की संभावना बनी रहती है। यहां तक की पहले कई बार हादसे घटित भी हो चुके है।
इनका कहना है…
शाहपुरा क्षेत्र के लोगों का ट्रांसपोर्ट व्यवसाय प्रमुख व्यवसाय बन गया है। यहां के ट्रांसपोर्ट का पूरे देश में नाम है। 2019 में बजट घोषणा और राशि स्वीकृति होने के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर विकसित नहीं होने से यहां के ट्रांसपोर्टरों के हितों के साथ धोखा है। वाहन चालक सुविधाओं के लिए मोहताज है। सरकार को प्राथमिकता से लेकर ट्रांसपोर्ट नगर को विकसित करवाना चाहिए। नगरपरिषद को बिना ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों के आवंटन निरस्त कर ट्रक व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमेटी बनाकर नए सिरे से भूखण्डों की नीलामी करनी चाहिए।
-मुकेश बड़बड़वाल, दी ट्रक ऑपरेटर्स यूनियन शाहपुरा
फैक्ट फाइल
-10 हजार से अधिक ट्रक
-10 हजार वर्कशाप व दुकानों पर कार्यरत मजदूर
-30 हजार चालक व परिचालक
Published on:
16 Feb 2025 04:22 pm
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