
फोटो प्रतिकात्मक
जयपुर। गजबन पाणी नै चा ली... ये बोल हैं एक चर्चित गाने के। अक्सर सुनाई पड़ने वाले इस गीत के बोल जयपुर ग्रामीण की पेयजल व्यवस्था पर उल्टे साबित होते नजर आ रहे हैं। शाहपुरा, विराटनगर में सर्दियों के दिनों में भी जहां पेयजल व्यवस्था चौपट है वहीं चौमूं में करोड़ों की पेयजल योजना दम तोड़ने लगी है। शहर में जेडीए की ओर से 36.50 करोड़ रुपए की राशि खर्च करके बनाई गई पेयजल योजना तीन सालों में ही दम तोडऩे लगी है। स्थिति ये है कि बलेखण में लगे आठ बोरिंगों में जलस्तर कम हो जाने से सप्लाई कम हो रहा है। यही हाल रहा तो चौमूं के बाशिदों को पीने लायक पीना मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। सूत्रों के अनुसार चौमूं शहर में जल वितरण व्यवस्था की जिम्मेदारी नगरपालिका को सौंपी हुई है, जिसके चलते शहरी जल योजना से जुड़े जलदाय विभाग के अधिकारी व कार्मिक नगरपालिका के दिशा-निर्देशन में काम करते हैं। पूर्व में नगरपालिका क्षेत्र में एक सौ से अधिक खोदे गए नलकूपों से की जाती थी, लेकिन जल स्तर गिरने के कारण पर्याप्त मात्रा में जल उत्पादन नहीं होने से पेयजल समस्या बढ़ गई। इसके निस्तारण के लिए जेडीए प्रशासन ने करीब 36.50 करोड़ रुपए की पेयजल परियोजना तैयार की।
सूत्रों के अनुसार योजना के तहत बलखेण व गुवारड़ी गांव में 14-14 नलकूप खोदना एवं पम्प हाउस बनाना तय हुआ, लेकिन बलेखण में ग्रामीणों के विरोध के चलते मात्र आठ नलकूप ही खोदे जा सके तथा गुवारड़ी में 14 नलकूप खोदे गए। दोनों जगह पम्प हाउस बनाए गए। पाइप लाइन के जरिए चौमूं में नए और पुराने नौ उच्च जलाशयों के जरिए नगरपालिका क्षेत्र में वर्ष 2017 में जल योजना शुरू की गई और एक दिन छोड़कर एक दिन जलापूर्ति की जाने लगी, लेकिन पेयजल समस्या पूरी तरह से दूर नहीं हो पाई।
आठ नलकूपों में जलस्तर घटा
सूत्रों की मानें तो बलेखण में बनाए गए आठों ट्यूबवैलों में जलस्तर गिर रहा है। इसके चलते इन नलकूपों में प्रति घंटा 26 सौ से चार हजार लीटर पानी का ही उत्पादन हो रहा है। खास बात ये है कि यहां पर नगरपालिका ने एक और नलकूप करीब सात महीने पहले निजी खातेदार से किराया पर लिया हुआ है। बलेखण के ट्यूबवैलों का पानी चौमूं के अग्निशमन केन्द्र, सामोद रोड स्थित पक्का बंधा एवं गल्र्स कॉलेज के पास बने उच्च जलाशयों में आता है और यहां से उच्च जलाशयों से जुड़े कॉलोनी, मोहल्लों एवं वार्डों में एक दिन छोड़कर एक दिन वितरित किया जाता है, लेकिन करीब एक पखवाड़े से इन जलाशयों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं आ रहा है, जिससे पेयजल आपूर्ति आए दिन बाधित होती रहती है।
उच्च जलाशयों को गुवारड़ी से जोड़ा
सूत्रों की मानें तो बलेखण के ट्यूबवैलों में पानी कम होने के बाद जलदाय विभाग ने अग्निशमन केन्द्र, गल्र्स कॉलेज एवं सामोद रोड पक्का बंधा को अब गुवारड़ी के ट्यूबवैलों से जोड़ दिया। इससे गुवारड़ी के ट्यूबवैलों पर भार बढ़ गया है। पूर्व से गुवारड़ी पम्पहाउस से अहीरों की ढाणी, रेनवाल रोड श्मशान घाट, जलदाय विभाग परिसर, रेलवे स्टेशन के पास, कचौलिया एवं विवेकानंद पार्क में बने उच्च जलाशय में आपूर्ति होती थी। इसके बाद उच्च जलाशयों से जुड़े वार्डों में जलापूर्ति होती आ रही है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में नहीं हो रही है।
.दस ट्यूबवैल खुदवाने की तैयारी
सूत्रों की मानें तो बलेखण के ट्यूबवैलों में जलस्तर कम हो गया है। इसलिए नगरपालिका व जलदाय विभाग ने दस नए ट्यूबवैल गुवारड़ी में खुदवाने का प्रस्ताव लिया है, जिससे जल उत्पादन बढ़ाया जा सके और गुवारड़ी के 14 ट्यूबवैलों पर बढ़े भार को कम किया जा सके। अधिशासी अधिकारी शुभम गुप्ता ने बताया कि जल्द ही दस नए ट्यूबवैल खुदवाकर चालू करवा दिए जाएंगे। इसके लिए पिछले दिनों जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता व अन्य अधिकारी गुवारड़ी व बलेखण का जायजा ले चुके हैं।
Published on:
15 Jan 2020 09:00 pm
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