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ताड़मेटला आगजनी: IG ने माना – मेरे कहने पर गई थी फोर्स, मैं हूं जिम्मेदार

ताड़मेटला आगजनी कांड के लिए सीबीआई की ओर से सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराए जाने के सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे के बाद बस्तर आईजी शिवराम कल्लूरी का महत्वपूर्ण बयान आया है।

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Ashish Gupta

Oct 23, 2016

Tadhmetla arson case

Bastar IG SRP Kalluri

जगदलपुर. ताड़मेटला आगजनी कांड पर सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई की रिपोर्ट पेश होने के बाद कांग्रेस और राष्ट्रवादी संगठनों के निशाने पर आए बस्तर आईजी एसआरपी कल्लूरी ने रविवार को चुप्पी तोड़ते हुए कहा, यदि कोई यह आश्वस्त करे, मेरे जाने से बस्तर में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा तो मैं 24 घंटे के अंदर बस्तर छोड़ दूंगा। दंतेवाड़ा का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक होने के नाते 2011 में मेरे कहने पर ही पुलिस बल ताड़मेटला गया था। वहां जंग जैसा माहौल था। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का निर्देश था कि ताड़मेटला में हालात काबू पाया जाए।


कल्लूरी ने कहा, सीबीआई द्वारा पेश रिपोर्ट को कुछ लोग मीडिया में गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। 2011 में मेरे दंतेवाड़ा एसएसपी रहते हुए यह घटना हुई थी। फोर्स ने घर नहीं जलाए थे। ताड़मेटला में 76 जवानों को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया था और उसके बाद तिम्मापुरम, मोरपल्ली पहुंची फोर्स के साथ हुई नक्सलियों की भीषण मुठभेड़ के दौरान यह घटना हुई थी। वहां दोनों तरफ से गोलीबारी हो रही थी। जवानों ने आत्मरक्षा में गोली चलाने के साथ बम का भी उपयोग किया गया था।

इस बात को ध्यान में रखना होगा, जिस समय घटना घटी तब भीषण गर्मी का समय था और इस दौरान जंगल में छोटी सी चिंगारी से भी आग भड़क उठती है। लेकिन पूरे घटनाक्रम को नक्सलियों के मददगार राष्ट्रवादी संगठनों ने गलत तरीके से पेश किया। यहां 76 जवानों की शहादत की बात कोई नहीं कर रहा है। नक्सलियों की इस कायरना हरकत पर बोलने में राष्ट्रवादी संगठनों के मुंह पर ताले जड़ जाते हैं।

नंदिनी सुंदर ने पैसे देकर ग्रामीणों से बुलवाया झूठ
डीयू प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और स्वामी अग्निवेश ने इस मामले पर याचिका दायर की थी। कल्लूरी ने कहा, नंदिनी सुंदर ने ग्रामीणों को पैसे देकर पुलिस के खिलाफ झूठ बुलवाया था। पुलिस के पास इसके पर्याप्त सबूत है। इस मामले की जांच कर रही ज्यूडिशियल कमेटी के सामने इन सबूतों को वक्त आने पर रखा जाएगा।

फोर्स के मनोबल पर पड़ेगा असर
आईजी कल्लूरी ने कहा, बस्तर में नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई निर्णायक स्थिति में है। ऐसे वक्त में इस तरह के आरोपों से जंगल में तैनात जवानों के मनोबल पर असर पड़ता है। नक्सलियों के मददगार राष्ट्रवादी संगठनों के झूठ का पर्दाफाश वक्त के साथ हो जाएगा। बस्तर की आवाम और राजनीतिक दल को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ रहना होगा।

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