
CG News: स्वास्थ्य विभाग बस्तर में मलेरिया के खात्मा के लिए कमर कस रहा है। इसके लिए 25 करोड़ रुपए स्वीकृत किया गया है। बस्तर में अब तक 1500 से ज्यादा मरीज मिल चुके हैं। जबकि, मलेरिया से तीन लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसमें बस्तर फाइटर का एक जवान भी शामिल है। डॉक्टरों के अनुसार बस्तर के मच्छर खतरनाक है। यही कारण है कि प्रदेश में बस्तर में मलेरिया के सबसे ज्यादा केस आते हैं। मौत भी वहां होती है।
एनएचएम की हाल में हुई बैठक में मलेरिया के उन्मूलन के लिए राशि की मंजूरी दी गई। इस राशि से जांच के लिए जरूरी उपकरण व जीवनरक्षण मशीनें खरीदे जाएंगे। (Malaria Outbreak in Bastar) घर-घर जाकर स्लाइड से ब्लड की जांच की जाएगी। खासकर बुखार वाले ऐसे लोग, जिन्हें मलेरिया होने का अंदेशा हो। डॉक्टरों के अनुसार ब्लड जांच से मलेरिया का पता चलता है।
आरबीसी या हीमोग्लोबिन की कमी है तो अंदाजा लग जाता है कि मरीज कहीं मलेरिया से पीड़ित तो नहीं है। या दूसरे खतरे के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। (CG News) बस्तर के ज्यादातर इलाके पहाड़ों व जंगल वाले हैं। इसलिए वहां मलेरिया फैलाने वाले मादा एनाफिलिस मच्छर ज्यादा मात्रा में पैदा होते हैं। मैदानी इलाकों की तुलना में ये खतरनाक भी है। इसलिए मलेरिया में मच्छर काटने के बाद कई लोग मलेरिया से पीड़ित हो जाते हैं।
CG News: इंटरनेशनल जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया में मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल मौसम बन रहा है। मच्छरों की प्रजनन दर के साथ उनके काटने की दर में भी बढ़ोत्तरी हुई है। आशंका है कि आने वाले दिनों में मच्छरों से होने वाली बीमारियां बढ़ सकती हैं।
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में मच्छर से फैलने वाली बीमारी व मलेरिया से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। 2021 में मलेरिया से 6 लाख 19 हजार लोगों की जान चली गई। तब मलेरिया के लगभग 24.7 करोड़ केस आए थे। (Malaria Outbreak in Bastar) विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी बढ़ने के साथ मच्छरों के जीवन चक्र में तेजी आती है और अंडे से एक व्यस्क मच्छर बनने का समय कम हो जाता है।
CG News: पिछले 3 साल में रायपुर जिले में मलेरिया के एक भी मरीज नहीं मिलने का दावा स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। जबकि जिले की आबादी 27 लाख है। दरअसल मलेरिया के मरीज होने के लिए ही शर्त ही ऐसी है कि इसमें आंकड़ों को कम-ज्यादा दिखाना आसान हो जाता है। कोई व्यक्ति अगर मलेरिया पॉजीटिव होने के बाद एक माह तक शहर या जिले के सीमा से बाहर नहीं गया है, तभी उन्हें जिले का केस माना जाएगा।
अगर वह जिले के बाहर जाकर, लौटने के बाद या वहां से मलेरिया से पीड़ित होकर आता है, तो इसे यहां का मरीज नहीं माना जाता। डॉक्टरों के अनुसार रायपुर में जुलाई से सितंबर तक काफी मच्छर होते हैं। (Malaria Outbreak in Bastar) मलेरिया के केस भी काफी आते हैं, लेकिन शर्तों के कारण हो सकता है, ये जिले के केस में गिनती न की जाती हो।
Updated on:
08 Sept 2024 07:43 am
Published on:
08 Sept 2024 07:42 am
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