
जगदलपुर . बस्तर में किसानों के जैविक उत्पाद के बिक्री के लिए राज्य के सीएम डॉ. रमन सिंह ने हरिहर बस्तर बाजार का लोकार्पण अप्रैल माह में किया था। कलेक्टर धनंजय देवांगन के द्वारा इस परियोजना का विस्तार किया जा रहा है। इसी कड़ी में सोलरकोल्ड स्टोर का भी लोकार्पण किया गया। हजारों किसान हरिहर बाजार से जुड़ कर फायदा ले रहे हैं।
जैविक खेती से नुकसान कम
किसान झितरूराम ने जैविक खेती व रसायनिक खेती पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि, हरिहर द्वारा दिए जाने वाले सब्जियों के मूल्य और मुफ्त में दी जाने वाली जैविक दवाइयों की वजह से उनकी खेती का नुकसान कम हो रहा है। इसलिए बस्तर के ये किसान कहते हैं कि आमचो जीविका चो आधार आय हरिहर बाजार।
सब्जियां बेचना हुआ आसान
बनियागांव के किसान धरम मौर्य जो लघु सीमांत कृषक हैं। ये बताते हैं कि एमकेएसपी परियोजना के तहत जैविक सब्जियां उगाते हैं। वह भिण्डी, टमाटर, धनिया, पालक की जैविक खेती कर उसे हरिहर बाजार को देते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस बाजार के बाद अब किसानों को सब्जियां बेचना आसान हो गया है। क्योंकि सब्जियां गांव में ही अच्छे दाम में बिक जाती है। इससे किसानों का समय, आवागमन सहित अन्य खर्चों से भी छुटकारा मिलता है।
इसलिए जैविक खाद्य पदार्थों के दाम ज्यादा
हरिहर का संचालन करने वाली महिला विकास समिति की अध्यक्ष शांति नाग का कहना है कि उनकी सहकारी समिति से बेची जाने वाली सब्जियों से लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर रसायनिक सब्जियों की तरह नहीं पड़ेगा। वहीं अंतर्राष्ट्रीय खाद्य एवं कृषि संस्था द्वारा एक रिपोर्ट में कहा है कि जैविक खाद्य पदार्थों का मूल्य कई कारणों से ज्यादा होता है।
जैविक खाद्य पदार्थों का बाजार में सीमित मात्रा में उपलब्ध होना।
जैविक खेती में खर्च ज्यादा होती है क्योंकि इसमें प्रति इकाई श्रमिक साधनों की ज्यादा जरुरत पड़ती है जो कि प्राकृतिक रूप से समस्याओं का निवारण करती है। जैविक उत्पादों का रख-रखाव काफी महंगा होता है, क्योंकि यह सब्जियां काफी नाजुक होती है और ज्यादा लंबी दूरी की यात्रा में खराब होने की संभावना ज्यादा होती है। इसकी बाजार व्यवस्था उतनी परिपक्व नहीं है,क्योंकि जैविक उत्पाद की मात्रा कम है।
700 से अधिक किसान ले रहे लाभ
माहेश्वरनाग, चेरो नाग, डोमू भारती का कहना है कि वह लाल भाजी, मेथी, बैंगन, मूली, मटर, फूलगोभी और सरसो भाजी हरिहर बाजार में देते हैं। उनको मंडी से चार-पांच रुपए ज्यादा हरिहर बाजार से सीधे गांव में ही मिल जा रहा है। बनियागांव के अलावा बस्तर के तारापुर, टलनार, उलनार के भी लगभग 700 किसान सीधे हरिहर बाजार से जुड़कर इसका फायदा उठा रहे हैं।
Published on:
02 Jan 2018 12:25 pm
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