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नक्सली खौफ खाते थे इस बहादुर जवान के नाम से, इसलिए बनाया निशाना

कुन्नाडुब्बा के घने जंगल में मुठभेड़ के दौरान आदित्य नक्सलियों के खास निशाने पर था। उसने ही नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था। नक्सली उसकी ताक में थे।

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Ajay Shrivastava

Aug 18, 2016

Aditya's name awe

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जगदलपुर.
कुन्नाडुब्बा के घने जंगल में हम मोर्चा लिए हुए थे। एकाएक ऐसा लगा कि माओवादी भाग खड़े हुए हैं। हमने उनका पीछा करने की नीयत से रुक- रुक कर फायरिंग जारी रखी हुई थी।


आदित्य हम सबसे अलग बड़ी तेजी से फायरिंग करता हुआ नक्सलियों को मार गिराने मूव कर रहा था। यह कहना था मुठभेड़ के दौरान उनके कमांडो साथियों का जो कि आदित्य के शहीद होने की बात पर यकीन ही नहीं कर रहे थे। रुंधे स्वर में एक साथी ने बताया कि यूबीजीएल चलाने में पारंगत आदित्य ने कहा कि किसी को भी नहीं छोडऩा है।


वह अपनी पोजीशन बदल ही रहा था कि एक गोली उसके पेट को चीरते हुए निकल गई। गोली लगने की बात पता चलने के बाद भी आदित्य ने गिरते-गिरते उस नक्सली को मार गिराया। यही नहीं साथियों को आदित्य ने इशारा किया कि वह ठीक है, कार्रवाई जारी रखें। साथियों को बाद में पता चला कि वह बेहद गंभीर हालत में है और जीवन- मृत्यु के बीच भी संजीदगी से देशभक्ति का काम करने जुटा हुआ है।


यूबीजीएल चलाने में महारत हासिल थी। सीआरपीएफ के 80 बटालियन का कमांडो आदित्य शरण प्रताप सिंह तवंर डीआरजी में बतौर आरक्षक भर्ती हुआ था। सभी तरह के हथियार चलाने में वह पारंगत था। विशेकर उसने अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर चलाने में उसका जवाब नहीं था। बटालियन के डा. लतीफ ने बताया कि आदित्य अक्सर कहा करता था। नक्सलियों को मारने के लिए इससे बेहतर हथियार नही है। सर्चिंग के दौरान वह यूबीजीएल लेकर सबसे आगे चलता था।


हुआ यह था

मुठभेड़ के दौरान आदित्य नक्सलियों के खास निशाने पर था। उसने ही नक्सलियों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था। नक्सली उसकी ताक में थे। जैसे ही वह पहाड़ी की ओट से बाहर निकला नक्सलियों ने उस पर गोलियों की बौछार कर दी। एक गोली उसके पेट को चीरते हुए निकल गई। भारत मां के इस लाल ने आखिरी दम तक लाल आतंक को आतंकित कर रखा था। मुठभेड़ खत्म होने के बाद उसे जगदलपुर व यहां से एयर एंबुलेंस की सहायता से रायपुर भिजवाया गया। सुबह उसने अंतिम सांसें ली।

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