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Siberian Birds in Bastar: विदेशी परिंदों की अठखेलियों से बस्तर की खूबसूरत फिजा में लगे चार चांद

Siberian Birds in Bastar: सर्दियों के दिनों में बस्तर की खूबसूरती और बढ़ जाती है। यहां के खूबसूरत जलप्रपात, गुफाएं और कोहरे के साए में घने जंगल और भी सुंदर नजारे पेश करते हैं। बस्तर के सबसे बड़े तालाब दलपत सागर में विदेशी मेहमानों का डेरा यहां के फिजा में चार चांद लगा रहे हैं।

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Siberian Birds in Bastar

पक्षियों की अठखेलियांSiberian Birds in Bastar: हर रोज सुबह साइबेरिया और हिमालय के मानसरोवर से हजारों किलोमीटर दूर सफर तय कर पहुंचे इन प्रवासी पक्षियों अठखेलियां देखी जा सकती है। सैंकड़ों की तादात में मौजूद यह खूबसूरत पक्षियां मिलनसार होती है यही वजह है कि यह यहां के अन्य बतखों के साथ मिलकर रहते है। सर्दियों का मौसम बीत जाने के बाद प्रजनन काल में यह पक्षी वापस अपने घरों की ओर लौट जाते हैं। इस पक्षियों का प्रजनन काल सर्दियों के बाद होता है। यही वजह है कि यह पक्षी अपने प्रजनन काल मे वापस चले जाते है।

Siberian Birds in Bastar

300 से अधिक प्रजाति के पक्षी आते हैं बस्तरSiberian Birds in Bastar: जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक यहां के अनुकूल वातावरण के चलते सालभर 300 से अधिक प्रजाति के विदेशी मेहमान बस्तर के विभिन्न स्थानों पर पहुँचते हैं। इनमें से कई तो पूरे वर्षभर दिखाई देते हैं। जिसमें मालाबार ड्रेगन जो वेस्टर्न घाट पर पाया जाता है इसे बस्तर के जंगलों में कभी भी देखा जा सकता है।

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दलपत सागर में पहुंचे प्रवासी पक्षीSiberian Birds in Bastar: देश देशांतर भ्रमण करने वाले ये पक्षी हिमालय के उस पार उत्तरी अफ्रीका से लेकर यूरोप, मध्य एशिया के इलाको में निवास करते हैं। इसे सर्दीयों में प्राय: भारत के दक्षिणी हिस्सों में देखा जाता है। सुदूर देशों के ठंडे स्थानों से भारत आने वाले पक्षियों के लिए बस्तर हमेशा से पसंदीदा पड़ाव होता है। यही वजह है कि यहाँ के तालाबों, पोखरों इत्यादि में इसे डेरा जमाए देखा जा सकता है। मानसरोवर के राजहंस से लेकर यहां पर यूरोपीय देशों, दक्षिणी यूरोप, अफ्रीका, पूर्वी एशिया, आर्कटिक क्षेत्र, रूस, मंगोलिया, कजाकिस्तान, उत्तरी यूरोप, उत्तरी अमेरिका, ताजिकिस्तान, इंडोनेशिया, ईरान और चाइना के कई प्रजातियों के पक्षी पहुँचते हैं।

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45 प्रजाति के पक्षी बनें मेहमानSiberian Birds in Bastar: इन दिनों 40 से 50 प्रजाति के पक्षी अकेले दलपत सागर में देखे जा सकते हैं। बस्तर के पक्षी विशेषज्ञ व प्राणी विज्ञान के प्रोफेसर सुशील दत्ता के मुताबिक इस वर्ष लगभग 45 प्रजाति के विदेशी पक्षी अभी तक बस्तर पहुंच चुके हैं। इनमें कई प्रजातियां प्रति वर्ष पहुंचती है तो कुछ नए प्रजाति भी शामिल होते हैं। वर्तमान में याहं पर ब्राउन हेडेड गल, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, ग्रे लावर, बार हेडेड गोश, स्पॉट बिल्ड पेलिकन तथा आमूर फेल्कन की अच्छी खासी संया दिखाई दे रही है।

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सैकड़ों किमी की करते हैं यात्राSiberian Birds in Bastar: जगदलपुर, प्रोफेसर प्राणी विज्ञान, डॉ सुशील दत्ता: प्रवासी पक्षी अपने भोजन, अनुकूल जलवायु और बेहतर जीवन की खोज में बिना हिचक सैंकड़ों किलोमीटर दूर देशों की यात्राएं करते रहते हैं। जलवायु और वातावरण और प्रतिकूल मौसम पक्षियों के प्रवास के समय को थोड़ा प्रभावित करता है। प्रवास के दौरान पक्षी की आंख पल में टेलिस्कोप और पल में माइक्रोस्कोप का कार्य करने लगता है यही वजह है कि यह अपने रास्ते के स्थानों के बारे में भांप लेते हैं। इस वर्ष पक्षियों का बस्तर में अपेक्षाकृत कम पहुंचना चिंताजनक है।

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यह जो पक्षी नहीं पहुंचेSiberian Birds in Bastar: अभी तक बस्तर के कई तलाबों में कुछ विदेशी मेहमानों की कमी खल रही है जो अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं। जो प्रवासी पक्षी नहीं दिखे उनमें प्रमुख रूप से बार हेडेड गॉस, व्हाइट हेडेड आरबिस, ग्रे प्लवर, यूरेशियन करल्यू, ग्रेट करगोरेट, स्पीट बिलिल पेलीगल सहित कई प्रजाति के पक्षी नजर नहीं आये। यही वजह है कि इससे पक्षी प्रेमी खासे निराश दिखे।