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लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के इन दो दिग्गज नेताओं में बढ़ी दूरी, निमंत्रण के बाद भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे विधायक

शहर के लोगों के लिए करोड़ों की लागत से बने ऑडिटोरियम के उद्घाटन के अवसर पर बुलावे के बावजूद विधायक दयाराम चौधरी कार्यक्रम में नहीं आए

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MP Harish Dwivedi

MP Harish Dwivedi

बस्ती. जिले में एक ही पार्टी का जनप्रतिनिधि होने के बाद भी वे एक साथ मंच पर आना पसंद नहीं करते। सांसद के द्वारा लाई गई योजनाओं से इन विधायक जी का कोई वास्ता नहीं। दरअसल, बीजेपी के सांसद हरीश द्विवेदी और सदर सीट के भाजपा विधायक दयाराम चौधरी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। तभी शहर के लोगों के लिए करोड़ों की लागत से बने ऑडिटोरियम के उद्घाटन के अवसर पर बुलावे के बावजूद विधायक दयाराम चौधरी कार्यक्रम में नहीं आए। जबकि सदर विधान सभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों को भाजपा सरकार द्वारा इतने बडे प्रोजेक्ट की सौगात मिली है।


दरअसल, कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं की माने तो सांसद हरीश ने अपनी दो साल की निधि को इस प्रोजेक्ट में खपा दिया जबकि विधायक दयाराम यह कतई नहीं चाहते थे कि उनके विधान सभा क्षेत्र में सांसद अपनी निधि का इस कदर प्रयोग करें क्योंकि वोट की राजनीति करने वाले विधायक अपने क्षेत्र के लोगों का विकास नहीं चाहते बल्कि वे उन्हें पांच साल बहलाकर केवल उनका वोट हासिल करना मक़सद मात्र है। बावजूद विरोध की प्रवाह किए बगैर सांसद हरीश ने शहरवासियों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी आडिटोरियम बनवाकर जनता को सौंप दिया। कल आयोजित हुये कार्यक्रम मे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे पहुंचे और फीता काटकर आडिटोरियम का उदघाटन किया। इस दौरान शहर के प्रबुद्वजन भी पहुंचे जिन्होंने मैट्रो सिटी की तर्ज पर तैयार हुए अत्याधुनिक आडिटोरियम की जमकर तारीफ की।


सांसद हरीश द्विवेदी से जब विधायक का इस कार्यक्रम से दूरी बनाने का कारण पूछा गया तो वे बडी ही शालीनता से इस सवाल से कन्नी काट गये। सांसद ने कहा कि विधायक जी कहीं और कार्यक्रम में व्यस्त होंगे। लेकिन उनके साथ विधायक दयाराम की चली आ रही अदावत अब खुलकर जनता के सामने आ चुकी है और लगातार सांसद व विधायक के बीच तल्खी बनी हुई है और इसका खामियाजा निश्चित तौर पर आने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उठाना पड़ सकता है। क्योंकि सदर विधायक दयाराम कई दूसरे दलो मे रहकर बीजेपी से विधायक चुने गये है तो शायद वे अपनी पार्टी के सांसद हरीश के दोबारा टिकट लेकर आने पर चुनाव में भीतरघात का काम कर सकते हैं।
गौरतलब है कि सांसद के कई ऐसे विकास के कार्यो के शिलान्यास या उदघाटन के अवसर पर विधायक दयाराम जाना पसंद नहीं करते। दोनों नेताओं के बीच जरा भी तालमेल नहीं है और किसी भी जनहित के मुद्दे पर सांसद व विधायक साथ में नहीं हैं। विधायक लगातार सांसद हरीश के खिलाफ अपने कार्यकर्ताओ को उकसाते रहे हैं जब कि सांसद भरे मंच पर अपने विधायक को सम्मान दिया है। कुछ भी कहा जाये मगर जनता के लिये हो रहे विकास के कार्यो में विधायक दयाराम चौधरी का खुद को अलग कर लेना बेहद निराशाजनक है और यह साबित करता है कि विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र मे सांसद की दखलअंदाजी नहीं चाहते। अगर सांसद जबरदस्ती जनता के लिए विकास का प्रोजेक्ट लेकर आते हैं तो विधायक की नाराजगी सामने आने लगती है।

BY- Satish Srivastava