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kargil vijay diwas जिसने गंवाई देश के लिए जान, उसे ही भूल गये हुक्मरान

पत्नी ने कहा 19 साल बाद भी सरकार और प्रशासन ने नहीं पूरे किये वादे

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kargil vijay diwas जिसने गंवाई देश के लिए जान, उसे ही भूल गये हुक्मरान

बस्ती. देश की सीमा पर तैनात सेना के जवानों के लिए देश के लोग ही नहीं वतन की मिट्टी का एक-एक कण भी चंदन होता है। पर इन्ही जवानों को सरकारें कैसे भूल जाती है। ये बस्ती जिले के एक शहीद के घर की हालात से पता लगाया जा सकता है।

जी हां तहसील का विक्रमजोत विकासखंड का इतिहास हमेशा से ही गौरवशाली रहा है। यहां की जमीन में देश सेवा का जज्बा है। यही कारण है कि आज भी यहां के सैकड़ों जवान देश सेवा का जज्बा सीने में लिए भारत की रक्षा के लिए सीमा पर तैनात हैं। कईयों ने तो देश पर अपने जान भी न्योछावर कर दिये। लेकिन एक शहादत के बाद सराकारें और प्रशासन को न शहीद याद रहे न उसके परिवार वालों से किये वादे।

परिवार के लोग आज भी याद करके रो पड़ते हैं जब 11 अगस्त सन 2000 को बस्ती जिले के मलौली गोसाई गांव में श्रीनगर से सूचना आई कि दुश्मनों द्वारा बिछाए गए माइंस धमाके में गांव के लाल लांस नायक मुन्नालाल यादव शहीद हो गये। उनके साथ तीन और सैनिक इस बारूदी सुरंग के हमले में मारे गए थे। प्रसाशन से लेकर सरकार ने परिवार वालों से खूब वादे किये। शहीद की पत्नी निर्मला देवी ने बताया कि जिला प्रशासन से लेकर नेताओं ने तमाम वायदे किये थे लेकिन वो सब भूल गए, उन्होंने वादा किया था कि शहीद के नाम से गांव में एक पार्क बनाया जाएगा, इसके अलावा शहीद की एक प्रतिमा लगाई जाएगी, परिवार को एक पेट्रोल पंप या गैस एजेंसी दिया जाएगा लेकिन कुछ भी नही हुआ। उन्होने कहा कि अगर शहीदों का सम्मान नहीं करना है तो कम से कम झूठे वादे तो नहीं करना चाहिए।

कम नहीं हुआ देश सेवा का जज्बा

लांस नायक मुन्ना यादव के शहीद होने के बाद बड़ा बेटा अमित अब अपने पिता के अधूरे कार्यो को पूरा करने के लिए सरहद पर देश सेवा कर रहा है। बेटी कोमल और छोटा बेटा सुमित भी कहते हैं कि मेरे पिता बेहद बहादुर थे हम उन्ही की तरह सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते हैं। पर शहीद की पत्नी कहती हैं कि हमें अब भी इस बात का अफसोस है कि सरकारों ने एक बहादुर की शहादत को भुला दिया।