
भारतीय रेल की लेटलतीफी के किस्से बहुत ही आम है। ट्रेनें कभी-कभी 12 से 24 या फिर 48 घंटे तक ट्रेनें लेट हो जाती हैं। लेकिन आंध्र प्रदेश से उत्तर प्रदेश आने वाली एक मालगाड़ी का पहुंचने में लगभग 4 साल का समय लग गया।
मामला साल 2014 का है। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम से उत्तर प्रदेश की बस्ती के लिए एक मालगाड़ी ट्रेन चली। 42 घंटे का सफर तय करके इसे बस्ती पहुंचना था, लेकिन यह अपने डेस्टिनेशन तक समय से नहीं पहुंच पाई। इस दूरी को तय करने में उसे 3 साल 8 महीने और 7 दिन का समय लगा।
दरअसल, बस्ती के व्यापारी रामचंद्र गुप्ता अपने कारोबार के लिए इंडियन पोटाश लिमिटेड से खाद मंगवाई थी। खाद की तकरीबन 1316 बोरियाँ थीं, जिनकी कीमत कुल 14 लाख के करीब था। खाद की इन बोरियों को 10 नवंबर 2014 को मालगाड़ी पर लोड किया गया था। ट्रेन को 42 घंटों में बस्ती पहुंचना था, लेकिन यह नहीं पहुंच पाई।
खाद की खेप समय से नहीं पहुंचने पर रामचंद्र गुप्ता ने इसके बाद रेलवे से संपर्क किया और मामले की शिकायत दर्ज कराई। गुप्ता की शिकायत के बाद जब जांच हुई तब जाकर ट्रेन को बस्ती पहुंचाया गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह ट्रेन इतनी लेट हुई कि बस्ती पहुंचने में इसको 3 साल 8 महीने और 7 दिन का समय लग गया। 25 जुलाई 2018 को यह बस्ती पहुंच पाई।
बाद में बताया गया कि ट्रेन अपने रास्ते से भटक गई थी और लापता हो गई थी। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि अनफिट ट्रेनों को यार्ड में भेज दिया जाता है। ऐसे में इस ट्रेन के साथ भी ये हो सकता है कि इसे यार्ड में भेज दिया गया हो। तकरीबन 4 साल की देरी से पहुंची इस ट्रेन में लदी सारी खाद तब तक बर्बाद हो चुकी थी।
Updated on:
07 Jul 2025 11:32 am
Published on:
30 Jun 2025 03:00 pm
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