11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खून साफ कर त्वचा के रोग ठीक करता है बबूल, जानें इसके अन्य फायदे

खांसी, खूनी दस्त, फोड़े-फुंसी में भी फायदेमंद है बबूल, आयुर्वेद के अनुसार देसी बबूल के पंचतत्त्व (बीज, फली, पत्ते, फूल और गोंद) रोगों को दूर करने में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल में लिए जाते हैं। ये तासीर में गर्म और स्वाद में कसैला होता है।

less than 1 minute read
Google source verification

जयपुर

image

Vikas Gupta

Jun 25, 2019

benefits-of-acacia

खांसी, खूनी दस्त, फोड़े-फुंसी में भी फायदेमंद है बबूल, आयुर्वेद के अनुसार देसी बबूल के पंचतत्त्व (बीज, फली, पत्ते, फूल और गोंद) रोगों को दूर करने में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल में लिए जाते हैं। ये तासीर में गर्म और स्वाद में कसैला होता है।

भारत में बबूल को कीकर के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर इसकी मुलायम टहनियों को दातुन बना कर प्रयोग में लेते हैं। इसके कई अन्य फायदे भी हैं।

आयुर्वेद के अनुसार देसी बबूल के पंचतत्त्व (बीज, फली, पत्ते, फूल और गोंद) रोगों को दूर करने में अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल में लिए जाते हैं। ये तासीर में गर्म और स्वाद में कसैला होता है।

10 ग्राम बबूल की कोपलें, 10 ग्राम गोखरू को दरदरा कर आधा लीटर पानी में भिगो लें। सुबह इसे हाथों से मलने के बाद छानकर पी लें। यूरिन में जलन, रक्त की शुद्धि के अलावा फोड़े-फुंसी, एग्जिमा जैसे त्वचा रोगों में यह लाभदायक है।
नजला-खांसी : 10 ग्राम गोंद को चूसने से राहत मिलेगी।

पेचिस व खूनी दस्त: 5 ग्राम इसके गोंद को आधा गिलास बकरी के दूध या सादा पानी से सुबह-शाम लेने से जल्द आराम मिलता है।
मुंह के छाले : बबूल के एक ग्राम फूलों के चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में 2-3 बार मुंह के छालों पर लगाएं।

पायरिया व मुंह की बदबू: इसकी कोमल टहनी की दातून दांतों को मजबूत रखती है। साथ ही पायरिया, मुंह से बदबू की समस्या भी दूर होती है।

पीलिया : इसके फूलों के चूर्ण में मिश्री के पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाएं। 5 ग्राम चूर्ण दिन में 3 बार पानी से लें।
तलवों में जलन: 100 ग्राम सूखे पत्तों के चूर्ण में बराबर मात्रा में पिसी मिश्री मिलाएं व पानी से आधा चम्मच सुबह-शाम लें।