– शिशु की नाभि में तेल लगाने से पेट संबंधी परेशानी नहीं होती है।
– यदि मुहांसों की समस्या है तो रात में सोने से पहले दो बूंद नीम का तेल नाभि में लगाकर सोएं। चेहरे पर दाग-धब्बे, मुहांसे की समस्या में फायदा मिलता है। त्वचा में निखार के लिए बादाम का तेल लगाएं।
– जोड़ों में दर्द, शरीर में सूजन, फटे होंठों की समस्या है तो सरसों का तेल लगाएं। सरसों का तेल एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल होता है। नाभि में जमी मैल के साथ लगे जीवाणुओं को नष्ट करने के साथ गैस, अपच व पेट दर्द में भी फायदा कारगर है।
– माहवारी में असहनीय दर्द और ऐंठन होती है। इसके लिए पुदीना व अदरक का तेल नाभि में लगाएं और पेट पर हल्के हाथों से मसाज करें।
खुजली, पीसीओडी की परेशानी है तो सरसों का तेल व सर्दी, खांसी, जुकाम और तीन महीने के अंतराल पर माहवारी आए तो तिल का तेल, जोड़ों का दर्द है तो अरंडी का तेल, माहवारी में हैवी ब्लीडिंग होने पर नारियल का तेल लगाएं। गर्भवती महिलाएं विशेषज्ञ की परामर्श से ही नाभि में तेल लगाएं।