
अक्सर देखा जाता है कि लोग सनग्लास खरीदते समय यूवी प्रोटेक्शन क्वालिटी देखने की बजाय लुक पर अधिक फोकस करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए।
किसी भी मौसम में सनग्लास का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह आंखों को धूल से बचाने के साथ रोगों से भी दूर रखते हैं। अक्सर देखा जाता है कि लोग इसे खरीदते समय यूवी प्रोटेक्शन क्वालिटी देखने की बजाय लुक पर अधिक फोकस करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए।
स्किन कैंसर : दस प्रतिशत स्किन कैंसर आईलिड पर पनपते हैं। कई शोध में भी सामने आया है कि सनग्लासेज पहनने से ऐसा होने की आशंका काफी कम हो जाती है।
टेरिजियम : इसमें आंखों के एक किनारे से एब्नार्मल टिश्यू की ग्रोथ शुरू हो जाती है व दृष्टिबाधित होने लगती है।
मोतियाबिंद : डब्लूएचओ के मुताबिक दुनिया में करीब 9 लाख लोग मोतियाबिंद के कारण आंखों की रोशनी खो देते हैं। ऐसा अल्ट्रावॉयलेट किरणों के सीधे संपर्क में आने से होता है। अच्छी क्वालिटी के सनग्लासेज अल्ट्रावॉयलेट किरणों का एक्सपोजर 100 प्रतिशत तक कम कर देते हैं।
मैक्यूलर डीजेनरेशन: आंखें अल्ट्रावॉयलेट किरणों के अधिक संपर्क में रहने पर मैक्यूला (आंखों का हिस्सा जहां लाइट सेंसिंग सेल्स होते हैं व जिसकी वजह से हम स्पष्ट देख पाते हैं) को नुकसान पहुंचता है।
Published on:
12 Aug 2019 08:46 pm
बड़ी खबरें
View Allसौंदर्य
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
