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जलकुम्भी ने पसारे पांव, दूर हुए प्रवासी पावणे

बिचड़ली तालाब में हर साल रहता प्रवासी पक्षियों का डेरा, अब तक नहीं आए प्रवासी पक्षी

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जलकुम्भी ने पसारे पांव, दूर हुए प्रवासी पावणे

जलकुम्भी ने पसारे पांव, दूर हुए प्रवासी पावणे


ब्यावर. बिचड़ली तालाब में जलकुंभी ने पांव पसार लिए है। जलकुंभी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। जलकुंभी के कारण इस बार प्रवासी पक्षियों ने भी इस तालाब की ओर रुख नहीं किया है। जबकि हर साल यहां पर बड़ी संख्या प्रवासी पक्षी आते है। नवम्बर से लेकर फरवरी माह तक प्रवासी पक्षियों की खासी संख्या रहती है। जल चिडिय़ा , पनडुब्बी व आरी का स्थायी बसेरा है। लेकिन अब इनकी संख्या भी यहां पर कम होती जा रही है। बिचड़ली तालाब में हर साल नवम्बर माह में प्रवासी पक्षी आना शुरु हो जाते है। बिचड़ली तालाब के पास ही सुभाष उद्यान होने से पेड़ भी है। एेसे में प्रवासी पक्षियों को भोजन के साथ ही रहने के लिए भी सुरक्षित जगह मिल जाती है। कई सालों से यहां पर प्रवासी पक्षी आते है। बिचड़ली तालाब आने वाले पक्षियों में पनडुब्बी, आरी (कूट), सीखपर, फ्लेमिगो, बगुला, हवाशील, किंगफिशर , जल चिडिय़ा , सारसक्रेन, टिटहरी, स्टाईल्ड, पेटेड स्टॉर्क , के्रन एवं डोमेसायल क्रेन शामिल है।

इसलिए नहीं किया रुख
पेटेड स्टॉक , के्रन एवं डोमेसायल क्रेन का यहां प्रवास पिछले कुछ सालों बिल्कुल बंद हो गया है। जबकि फ्लेमिंगो, हवाशील , सारस के्रन की संख्या भी गत सालों में कम ही रही है। यहां आने वाले प्रवासी अन्य पक्षियों की संख्या भी कम होती जा रही है। यहां पर गंदगी होने एवं तालाब में जलकुंभी का डेरा होने से प्रवासी पक्षियों ने दूसरे ठिकाने तलाश लिए है। इस बार अच्छी बरसात होने के कारण आस-पास के कई तालाब पानी से लबालब है। वहां पर जलकुंभी सहित गंदगी नहीं होने से इस बार बिचड़ली में प्रवासी पक्षी नहीं पहुंचे है।

घटती गई संख्या
विदेशी पक्षियों को मेंढ़क, टोड, केकड़ा, घोघा, शंख, सीपी, मछली प्रिय भोजन है। बिचड़ली का पानी दूषित होने एवं कचरे से अटा होने से ये जीव दम तोड़ रहे हैं। जीव विज्ञान के विशेषज्ञों की मानें तो इस प्रदूषण ने इनके प्रजनन को भी खासा प्रभावित किया है। इनकी संख्या घटने से प्रवासी पक्षियों ने यहां आने से मुंह मोड़ लिया।

यह भी रहा कारण
विदेशी पक्षी यहां पर प्रजनन के लिए आते हैं। जिससे नन्हे बच्चों को पर्याप्त भोजन के साथ अनुकूल मौसम भी मिल सके। बच्चों के लिए उपयुक्त भोजन कम होने से भी इन पक्षियों ने अपना ठिकाना बदल दिया। इनके बसेरे पर भी संकट बिचड़ली में आरी, पनडुबियां, जल चिडिय़ा, बगुले का स्थायी बसेरा है। यहां बगुला व जल चिडिय़ा बहुतायत में रहते थे। इन पक्षियों की संख्या भी कम नजर आ रही है। पर्याप्त भोजन के अभाव व गंदगी के कारण इन्होंने भी नया आशियाना ढूंढ लिया है।