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दशक की सबसे अधिक खपत रही डीएपी व यूरिया की

दशक की सबसे अधिक खपत रही डीएपी व यूरिया की अच्छी बरसात होने से बढ़ा बुवाई का आंकडा, इसके चलते बढी मांग-अच्छी पैदावार होने की आशा

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दशक की सबसे अधिक खपत रही डीएपी व यूरिया की

दशक की सबसे अधिक खपत रही डीएपी व यूरिया की

ब्यावर. इन्द्रदेव की मेहरबानी के कारण इस बार औसत से अधिक बरसात हुई। इसके चलते बुवाई का रकबा भी बढ़ गया। बुवाई 61 हजार 850 हेक्टर के विपरित 76 हजार 174 हेक्टर में बुवाई हुई। जो लक्ष्य से अधिक 123 प्रतिशत रही। बुवाई का आंकड़े में हुई बढ़ोतरी के चलते पिछले दस सालों में सबसे अधिक यूरिया व डीएपी की खपत हुई। 405 मैट्रिक टन यूरिया एवं 250 मैट्रिक टन डीएपी की खपत हुई। जबकि पिछले दस सालों में इनकी इतनी मांग नहीं रही। इस बार बुवाई का आंकड़ा बढऩे एवं डीएपी व यूरिया की खपत को देखते हुए उपज भी अच्छी होने के आसार है।ब्यावर क्रय-विक्रय सहकारी समिति ने पिछले दस सालों में दौ सौ से तीन सौ मेट्रिक टन यूरिया एवं एक सौ से दौ सौ मेट्रिक टन डीएपी की खपत हुई। इस बार यूरिया की खपत बढ़कर 405 मैट्रिक टन डीएपी की बिक्री 250 मैट्रिक टन तक पहुंच गई। क्षेत्र में सबसे अधिक 38 हजार 758 मैट्रिक टन चने की एवं बीस हजार 513 हेक्टर में गेहू की बुवाई हुई है। इसके अलावा दस हजार तीन सौ हेक्टर में जौ की बुवाई हुई है।

यूरिया व डीएपी की खपत : एक नजर

वर्ष यूरिया डीएपी2016-17 341 1892017-18 388 2282018-19 274 1482019-20 405 250 (आंकड़े मेट्रिक टन में)लक्ष्य से अधिक बुवाई से बढ़ी खपततहसील लक्ष्य बुवाईब्यावर 3480 3884टॉडगढ़ 710 730मसूदा 7450 13532ब्यावर 3480 3884बिजयनगर 5175 4155भिनाय 32575 36145टाटोटी 5315 6950सरवाड़ 7135 10780कुल 61850 76174( बुवाई का रकबा हेक्टर में)