
मृत्युभोज हुआ तो नौकरी व पंचाई पर आएगा संकट
ब्यावर. मृत्युभोज करने वालों पर अब पुलिस नजर रखेगी। महानिदेशक पुलिस अपराध शाखा ने सभी पुलिस अधिकारियों को राजस्थान मृत्युभोज अधिनियम 1960 की पालना करवाने के निर्देश दिए है। ताकि मृत्युभोज करने वालों पर कार्रवाई की जा सके। इस तरह के आयोजन की पंच, पटवारी, सरपंच को जानकारी देना उनका दायित्व होगा। ऐसा नहीं करने एवं उनके क्षेत्र में मृत्युभोज होने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। थानाधिकारियों ने इसकी पालना को लेकर बीट कांस्टेबल को मृत्युभोज पर निगरानी रखने के निर्देश दिए है। कोरोना वैश्विक महामारी को देखते हुए इस तरह के आयोजन पर विशेष नजर रखी जा रही है। ताकि किसी प्रकार के संक्रमण की संभावना नहीं बने। सामाजिक समारोह में कोरोना संक्रमित होने के बाद इसकी पालना को लेकर सजगता बढ़ा दी गई है।महानिदेशक पुलिस अपराध शाखा के उपमहानिरीक्षक पुलिस अपराध शाखा के किशन सहाय ने राजस्थान मृत्युभोज अधिनियम 1960 की पालना करवाने के निर्देश दिए है। इसके बाद सभी थाना पुलिस ने बीट कांस्टेबलों को इसको लेकर सजगता बरतने के निर्देश दिए है।
मृत्यु-भोज की परिभाषा
राजस्थान मृत्यु-भोज निषेध अधिनियम 1960 के तहत दण्डनीय अपराध है। राजस्थान मृत्यु-भोज निषेध अधिनियम के तहत किसी परिजन की मृत्यु होने पर, किसी भी समय आयोजित किए जाने वाला भोज, नुक्ता, मौसर, चहलल्म एवं गंगा-प्रसादी मृत्युभोज कहलाता है। कोई भी व्यक्ति अपने परिजनों या समाज या पण्डों, पुजारियों के लिए धार्मिक संस्कार या परम्परा के नाम पर मृत्यु-भोज नही करेगा। मृत्यु-भोज करने व उसमें शामिल होना अपराध है।अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति मृत्यु-भोज न तो आयोजित करेगा न जीमण करेगा न जीमण में शामिल होगा न भाग लेगा ।
यह है प्रावधान
अधिनियम के तहत मृत्यु-भोज का अपराध करेगा या मृत्यु-भोज करने के लिए उकसाएगा, सहायता करेगा, प्रेरित करेगा उसको एक वर्ष की सजा या एक हजार रुपए का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
इनका कहना है...
राजस्थान मृत्युभोज अधिनियम की पालना के निर्देश मिले है। इसके तहत बीट कांस्टेबल को अपने-अपने क्षेत्र में इस पर नजर रखने के निर्देश दिए गए है।
-सुरेन्द्रसिंह जोधा, थानाधिकारी, सदर थाना पुलिस
Published on:
12 Jul 2020 04:58 pm
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