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घर में रहकर इस 104 साल के स्वतंत्रता सेनानी ने दी कोरोना को मात, बताया संक्रमण से मुक्त होने का मंत्र

बैतूल के रहने वाले 104 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने घर पर रहकर ही दे दी कोरोना को मात, बोले से जल्द ठीक होना है तो अपने ये जीवन-मंत्र।

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घर में रहकर इस 104 साल के स्वतंत्रता सेनानी ने दी कोरोना को मात, बताया संक्रमण से मुक्त होने का मंत्र

बैतूल/ देश की आजादी के लिए जंग लड़ने वाले 104 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ने कोरोना को अपने घर पर रहकर इलाज करते हुए ही मात दे दी। अब वो कोरोना से पूरी तरह स्वस्थ हैं। बता दें कि, मध्य प्रदेश के बैतूल में रहने वाले 104 साल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरदीचंद गोठी पिछले दिनों कोरोना संक्रमण से ग्रस्त हुए थे। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर परिजन ने उनका इलाज शुरू कराया। अस्पतालों में पलंगों की व्यवस्था न होने के चलते घर पर रहकर उनका इलाज किया गया। छिंदवाड़ा और बैतूल के चिकित्सकों ने उनका इलाज किया और देखते ही देखते उनके स्वास्थ में सुधार होने लगा। समय पर इलाज और बेहतर इच्छा शक्ति के दम पर उन्होंने इतनी अधिक उम्र होने के बावजूद समय पर कोरोना से मुक्ति पा ली।

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[typography_font:14pt;" >इन नियमों का पालन कर जीती कोरोना से जंग

बिरदीचंद गोठी के मुताबिक, अब वो पूरी तरह स्वस्थ हैं। गोठी के मुताबिक, संक्रमित होने के बाद डॉक्टर्स ने उनका इलाज किया। साथ ही, घर पर काम करने वाले लोगों ने लगातार चिकित्सकों का सहयोग किया। इतनी उम्र होने के बावजूद समय पर संक्रमण से मुक्त होने का मंत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि, अकसर देखा गया है कि, संक्रमित होकर जान गवाने वाले लोग कोरोना की चिंता खुद पर हावी कर लेते रहे। ऐसे में तय समय पर स्वस्थ होने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि, जितने भी समय इलाजरत रहा खुश रहा और सादा भोजन किया। यही वजह है कि, इतनी उम्र के बावजूद भी कोरोना पर सफलता पा सका।

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[typography_font:14pt;" >'बचपन से ही जारी है ये दिनचर्या, इसलिये अब तक स्वस्थ'

उन्होंने कहा ईश्वर की कृपा से मैं ठीक हूं। पुष्टि के लिये आरटीपीसीआर भी कराई, जिसकी रिपोर्ट हालही में निगेटिव आ गई है। इलाज के दौरान सबका सहयोग मिला। मैं मानसिक रूप से ठीक रहा और खुश रहा। खान-पान ठीक रखा। इसलिए जल्द स्वस्थ हो सका। उन्होंने कहा कि, मेरी बचपन से दिनचर्या ठीक रही है। सुबह जल्दी उठना, संतुलित व साधा आहार लेना, नियमित वर्जिश एवं पठन-पाठन और प्रसन्नचित्त मन से अपने हर काम को अबतक किया।


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उन्होंने ये भी बताया कि, मौजूदा समय में लोग बदलते दौर के साथ खुद की दिन चर्या और रहन सहन को भी बदल रहे हैं। लेकिन, आजकल का खानपान और रहन-सहन लोगों को शारीरिक रूप से कमजोर कर रहा है। इसलिए सभी को साधा जीवन और सादे और संतुलित आहार को अपने जीवन पर लागू करने की जरूरत है। दिनचर्या को बेहतर कर शारीरिक परिश्रम करें और प्रसन्न रहें। इससे हम जल्द ही कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

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