
आखिर क्यों लोग लौटा रहे पीएम आवास का पैसा, जानिये वजह
बैतूल. मध्यप्रदेश में ऐसे कई लोग हैं जो पीएम आवास योजना के तहत राशि स्वीकृत हो जाने के बाद भी लौटा रहे हैं, आपको बतादें कि कुछ समय पहले लोग इस योजना का लाभ लेने के लिए नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषदों के चक्कर काटते थे, लेकिन अब आखिर ऐसा क्या हो गया, जो लोगों को पीएम आवास योजना की राशि स्वीकृत होने के बाद भी लौटानी पड़ रही है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बैतूल शहरी क्षेत्र में बीते छह सालों में जहां दो हजार के लगभग हितग्राहियों ने स्वयं के पक्के मकान बना लिए हैं। वहीं कुछ हितग्राही ऐसे भी हैं जिन्हें योजना का लाभ मिलने के बाद मकान बनाने से हाथ खड़े करते हुए आवास योजना को सरेंडर कर दिया। ऐसे हितग्राहियों की संख्या 177 के लगभग बताई जाती है। आवास योजना को सरेंडर करने के पीछे हितग्राहियों के अपने अलग-अलग कारण बताए जाते हैं। ज्यादातर मामले जमीनी एवं पारिवारिक विवादों से जुड़े हुए हैं। वहीं इक्का-दुक्का हितग्राही ऐसे भी हैं जिन्होंने महंगाई के चलते निर्माण कार्यों की लागत बढऩे से मकान बनाने से मना कर दिया।
28 सौ से अधिक आवास स्वीकृत हुए
जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरूआत वर्ष 2016 में हुई थी। तब से लेकर आज तक 2 हजार 804 आवासों निर्माण की मंजूरी नगरपालिका से जारी की जा चुकी हैं। इनमें से अभी तक 1939 आवास बनकर पूर्ण हो चुके हैं। जबकि प्रारंभ आवासों की संख्या 491 बताई जाती है। अप्रारंभ आवासों की संख्या 112 के लगभग है। आवास योजना का यह नौवां चरण चल रहा है।
2019 के आवास भी अभी तक शुरू नहीं :
आवास योजना के तहत ऐसे भी हितग्राही है जिन्होंने योजना की राशि तो सरेंडर नहीं की और न ही आवास बनाए। बताया गया कि वर्ष 2019 में स्वीकृत आवास योजना के 4 हितग्राहियों ने अभी तक आवास निर्माण शुरू नहीं किया है। वर्ष 2021 में 108 हितग्राहियों ने राशि मिलने के बाद से अभी तक निर्माण शुरू नहीं कराया। वर्ष 2021 में लॉकडाउन से आवास निर्माण नहीं हुआ।
286 लाख संचालनालय को सरेंडर किए
प्रधानमंत्री आवास योजना के जिन हितग्राहियों ने आवेदन करने के बाद भी आवास योजना का लाभ नहीं लिया उनकी राशि नगरपालिका द्वारा संचालनालय को सरेंडर कर दी गई। बताया गया कि नगरपालिका ने अभी तक 286.99 लाख रुपए संचालनालय को सरेंडर किए गए हैं। सरेंडर की गई यह राशि योजना के शुरूआती चरणों की हैं। वर्तमान में यदि कोई हितग्राही योजना का लाभ लेने से मना कर देता है तो राशि उसके खाते में नहीं डाली जाती है।
प्रथम व द्वितीय चरण में सबसे ज्यादा सरेंडर
पीएम आवास योजना के शुरूआती चरण में हितग्राहियों ने सबसे ज्यादा राशि सरेंडर करी है। बताया गया कि आवास योजना का प्रथम चरण 2016 को शुरू हुआ था। जिसमें 775 हितग्राहियों के आवास कलेक्टर ने स्वीकृत किए थे, लेकिन 24 हितग्राहियों ने आवास निर्माण की जगह राशि सरेंडर कर दी थी। इसी प्रकार योजना के द्वितीय चरण में वर्ष 2017 को 761 आवास कलेक्टर ने स्वीकृत किए थे। इनमें से 69 हितग्राहियों ने योजना की राशि सरेंडर कर दी थी। इसके बात योजना के प्रत्येक चरणों में हितग्राहियों द्वारा योजना का लाभ लेने से मना करते हुए आवास योजना का लाभ सरेंडर कर दिया गया।
आवास योजना सरेंडर करने के पीछे कई अलग-अलग कारण है। ज्यादातर मामलों में हितग्राहियों ने जमीनी विवाद एवं पारिवारिक विवाद के चलते योजना का लाभ लेने से इंकार कर दिया है।
-नीरज धुर्वे, सहायक यंत्री, नपा
Published on:
01 May 2022 03:31 pm
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