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बेतुल

दो साल में भी चालू नहीं हुआ रेलवे अंडरब्रिज, शेड का काम अधूरा पड़ा

– मगरधा रेलवे गेट के नीचे से 1.75 करोड़ की लागत से अंडरब्रिज बनाया, काम पूरा नहीं होने से उद्घाटन भी रूका

बेतुलSep 10, 2023 / 10:00 pm

rakesh malviya

हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा।

हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा। ,हरदा. मगरधा रेलवे गेट के नीचे से तैयार किए गए अंडरब्रिज के ऊपर टीन शेड का काम अधूरा पड़ा।

हरदा. सालों से मगरधा रेलवे से होकर लोग आवगमन कर रहे थे, लेकिन रोजाना ट्रेनों के लगातार निकलने से गेट बंद रहने पर वाहन चालकों एवं राहगीरों को परेशान होना पड़ता था। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने आगामी 2025 तक देशभर के रेलवे गेटों को बंद करके उनकी जगह पर अंडरब्रिज का निर्माण करवाए जा रहे हैं। इसके तहत मगरधा रेलवे गेट को भी बंद करके इसके नीचे से अंडरब्रिज का निर्माण करवाया गया है। लेकिन दो साल बीतने पर भी इसे शुरू नहीं किया गया। बारिश के पूर्व लोगों को उम्मीद थी कि बरसात में इसमें से आवागमन की सुविधा मिलने लगेगी, किंतु शेड का अधूरा पड़ा हुआ है।
सैकड़ों गांवों को मिलना है आवागमन की सुविधा
उल्लेखनीय है कि मगरधा रेलवे गेट नंबर 203 के नीचे से रेलवे प्रशासन करीब 1 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से रेलवे अंडरब्रिज बनवा रहा है, जिसकी चौड़ाई लगभग 14 फिट और ऊंचाई करीब 16.5 फिट रखी गई है। वहीं इसे 11 सीमेंट के बॉक्स लगाकर तैयार किया गया है। अंडरब्रिज का काम करीब दो साल पहले शुरू हुआ था। हरदा की निर्माण एजेंसी को काम मिला था, जिसने अंडरब्रिज के दोनों हिस्सों की सडक़, पानी निकासी की व्यवस्था के कार्य गत दो माह पहले ही पूरे करवा दिए हैं। अब केवल शेड का काम बाकी है, जिसे भोपाल की कंपनी को पूरा करना है। लेकिन इसका काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। इस अंडरब्रिज से हरदा शहर के अलावा मगरधा क्षेत्र के सैकड़ों गांवों के लोगों को आवागमन का लाभ मिलेगा।
ब्रिज के दोनों तरफ नहीं लगाए शेड
रेलवे ने निर्माणाधीन रेलवे अंडरब्रिज के बाजू से सालों पहले अंडरब्रिज बनवाया था, लेकिन बारिश होने पर इसमें पानी भर जाता है। इसके कारण वाहनों का आवागमन प्रभावित होता है। इस समस्या को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने इस बार नए अंडरब्रिज में बारिश के पानी को रोकने के लिए दोनों तरफ के हिस्सों में शेड लगवाए जा रहे हैं। रेलवे ने नए अंडरब्रिज पर शेड लगाने का ठेका भोपाल की कंपनी को दिया है। जिसने शेड लगाने के लिए खंभे खड़े कर दिए हैं, लेकिन टीन शेड नहीं लगाए गए। यह काम नहीं होने से अंडरब्रिज का शुभारंभ भी अटका हुआ है। जबकि खिरकिया और टिमरनी क्षेत्र में बने अंडरब्रिज के ऊपर शेड बने हुए महीनों हो चुके हैं। मगरधा अंडरब्रिज का यह अधूरा पड़ा हुआ है।
हार्वेस्टर सहित अन्य वाहन आसानी से निकलेंगे
मगरधा रेलवे गेट के सामने रेलवे प्रशासन ने पूर्व में लगभग 1 करोड़ की लागत से अंडरब्रिज बनवाया था। लेकिन इसकी ऊंचाई व चौड़ाई कम होने से ऊंचे वाहनों को निकलने में दिक्कतें होती हैं। वहीं ब्रिज के दोनों हिस्सों मे अंधा मोड़ होने से हादसे की आशंका भी रहती है। मगरधा क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर खेती है। जहां किसानों को फसल कटाई के लिए हार्वेस्टर बुलाना पड़ता है। लेकिन पुराने अंडरब्रिज की ऊंचाई कम होने से उसमें हार्वेस्टर फंस जाता है। ऐसी स्थिति में उन्हें हार्वेस्टर के पहियों की हवा निकालकर अंडरब्रिज से निकाला जाता है या फिर 40 किमी का फेरा लगाकर मसनगांव रेलवे फाटक से होकर खेतों में पहुंचना पड़ता है। लेकिन नए अंडरब्रिज से सभी प्रकार के वाहन आसानी से निकल सकेंगे।
इनका कहना है
मगरधा रेलवे गेट नंबर 203 के नीचे से अंडरब्रिज का निर्माण हो चुका है। केवल दोनों हिस्सों में शेड लगना बाकी है। भोपाल की कंपनी को इस काम को कर रही है, जिसे जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। संभवत: इस महीने में अंडरब्रिज से आवागमन शुरू करा दिया जाएगा।
प्रभात कुमार, रेलवे सहायक मंडल इंजीनियर, हरदा

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