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IPL 2023: भदोही के रहने वाले इस खिलाड़ी ने बचपन में छोड़ा था घर, गोलगप्पे बेच किया गुजारा, जानें इनकी कहानी

Yashasvi Jaiswal Struggle: उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में 28 दिसंबर 2001 को जन्मे क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल का जीवन चुनौतियों से भरा रहा है। आइए जानते हैं यशस्वी के जन्म से लेकर 53 गेंदों पर शतक लगाने तक की कहानी...  

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Struggle story of cricketer Yashasvi Jaiswal

यशस्वी जायसवाल ने अपने जीवन में काफी स्ट्रगल किया है

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के सूर्यावां गांव में 28 दिसंबर 2001 को एक लड़के का जन्म होता है। जिसे 11 साल की उम्र में ही क्रिकेट का ऐसा चस्का लगा कि वह घर छोड़कर मुंबई पहुंच गया। वहां जाकर जीविका चलाने के लिए गोलगप्पे तक बेचे। काफी संघर्ष के बाद यह लड़का स्टार खिलाड़ी बन गया। इस लड़के का नाम है क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल, आइए आपको यशस्वी के बचपन से लेकर अब तक कहानी से रू-बरू कराते हैं।

53 गेंदों पर शतक बनाए यशस्वी
यशस्वी जायसवाल ने कल रात यानी 30 अप्रैल को IPL में मुंबई इंडियंस के खिलाफ शतक जड़ दिया। यशस्वी ने वानखेड़े स्टेडियम में राजस्थान रॉयल्स के लिए 53 गेंदों पर एक शतक पूरा किया। इसके बाद 62 गेंदों पर 124 रनों की पारी खेलकर वह आउट हो गए। IPL के शतकवीर यशस्वी जायसवाल को क्रिकेट से इतना प्यार है कि 11 साल की उम्र में ही वो मुंबई पहुंच गए।

मुंबई के आजाद मैदान पर गोलगप्पे बेचते थे यशस्वी
यशस्वी जायसवाल ने अपने जीवन में काफी स्ट्रगल किया है। बहुत कम ही लोग जानते हैं कि मुश्किल वक्त में यशस्वी अपना खर्च चलाने के लिए मुंबई के आजाद मैदान पर गोलगप्पे बेचते थे। इसकी जानकारी उन्होंने ही एक बार इंटरव्यू के दौरान दी थी।

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यशस्वी ने बताया था कि मुझे गोलगप्पे बेचना अच्छा नहीं लगता था, क्योंकि जिन लड़कों के साथ मैं क्रिकेट खेलता था, जो सुबह मेरी तारीफ करते थे, वही शाम को मेरे पास गोलगप्पे खाने आते थे। ऐसा करने पर बहुत बुरा लगता था, लेकिन यह करना पड़ा, क्योंकि उस वक्त जरूरत थी।

भदोही से मुंबई आते वक्त सिर्फ इतना सोचा..मुझे बस क्रिकेट खेलना है
11 साल की उम्र में यशस्वी जायसवाल ने भदोही से मुंबई तक का सफर तय किया था। मुंबई में उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि मैं सिर्फ यही सोचकर आया था कि मुझे बस क्रिकेट खेलना है और वह भी सिर्फ और सिर्फ मुंबई से।

यशस्वी की प्रतिभा देख कर प्रभावित हो गए थे कोच
यशस्वी ने बताया था कि वह एक टेंट में रहते थे। जहां उनके पास बिजली, पानी, बाथरूम जैसी सुविधाएं भी नहीं थी। लेकिन एक दिन जब यशस्वी ग्राउंड में क्रिकेट खेल रहे थे तो ज्वाला सिंह नाम के एक कोच ने उन्हें बल्लेबाजी करते देखा। यशस्वी की प्रतिभा देख कर ज्वाला सिंह प्रभावित हो गए।


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उन्होंने यशस्वी जायसवाल को मुफ्त में ट्रेनिंग देने का फैसला किया। ज्वाला सिंह ने यशस्वी को अपने घर में रहने के लिए भी कहा, साथ ही उनकी पूरी जिम्मेदारी ली। तब से यशस्वी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 2020 अंडर-19 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे।

कई रिकार्ड्स अपने नाम किए हैं जायसवाल
साथ ही प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड जीता था। उनके नाम विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई के लिए दोहरा शतक भी है। यशस्वी जायसवाल ने बीते साल दिलीप ट्रॉफी के फाइनल में 265 रन की पारी खेली थी। इसी साल मार्च में ईरानी कप के मैच में 213 रन बनाए थे।