भदोही

Sitamarhi Sita Samahit Sthal : मां सीता यहां समा गयी थीं धरती में, लवकुश ने बजरंगबली को यहीं बनाया था बंधक

Sitamarhi Sita Samahit Sthal को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर रही राज्य सरकार

3 min read
Aug 25, 2021
Sitamarhi Sita Samahit Sthal : मां सीता यहां समा गयी थीं धरती में, लवकुश ने बजरंगबली को यहीं बनाया था बंधक

भदोही. Sitamarhi Sita Samahit Sthal- अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ ही यूपी सरकार श्रीराम से जुड़े स्थलों का विकास पर्यटन की दृष्टि से कर रही है। यूपी के भदोही से 45 किमी दूर 'सीता समाहित स्थल' को राज्य सरकार आस्था के बड़े केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए इसे रामायण सर्किट से जोड़ेगी। पौराणिक मान्यता है कि गंगा के किनारे स्थित सीता समाहित स्थल पर ही अपने दूसरे बनवास के कठिन दिन सीता जी ने यहीं काटे थे। यहीं महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया। इसी स्थान पर लवकुश ने बजरंगबली को बंधक बनाया था। बाद में इसी स्थल पर माता सीता ने जमीन में समाधि ले ली थी। यहां विशाल और सुंदर मंदिर है।

बाल्मीकि आश्रम भी यहीं
'सीता समाहित स्थल' पर बाल्मीकि आश्रम भी है। यहां लवकुश की मूर्ति है। काशी और प्रयाग के मध्य स्थित इस स्थान को सीतामढ़ी भी कहा जाता है। बाल्मीकि रामायण और तुलसीदास की 'कवितावली' में सीतामढ़ी का उल्लेख है। यहीं पर भगवती सीता ने अपने दूसरे वनवास के समय जीवन के अन्तिम दिन घोर कष्ट में बिताये थे। और अंत में लांछन लगने पर धरती में समां गई थीं।

बाल्मीकि आश्रम भी यहीं
'सीता समाहित स्थल' पर बाल्मीकि आश्रम भी है। यहां लवकुश की मूर्ति है। काशी और प्रयाग के मध्य स्थित इस स्थान को सीतामढ़ी भी कहा जाता है। बाल्मीकि रामायण और तुलसीदास की 'कवितावली' में सीतामढ़ी का उल्लेख है। यहीं पर भगवती सीता ने अपने दूसरे वनवास के समय जीवन के अन्तिम दिन घोर कष्ट में बिताये थे। और अंत में लांछन लगने पर धरती में समां गई थीं।

सीता जी की केस वाटिका
यहीं माता सीता की केश वाटिका भी है। जहां वह अपनों बालों को साफ किया करती थीं। यहां मौजूद अलग प्रकार की घास माता सीता के बाल के रूप में जानी जाती है। इसकी खासियत यह है कि यह घास सिर्फ इसी स्थान पर होती है।

108 फीट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा
सीता समाहित स्थल के पास हनुमान जी की 108 फीट ऊंची विशाल मूर्ति है। मान्यता है कि जब श्रीराम ने अश्वमेघ यज्ञ किया था तो जिस घोड़े को लव और कुश ने पकड़ा था उसे छुड़ाने आये हनुमान जी को दोनों भाइयों ने यहीं बंदी बनाया था।

पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पत्नी ने किया था उद्घाटन
मंदिर के पुजारी पंडित सत्यदेव के अनुसार 1997 में पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा की पत्नी विमला शर्मा ने इस मंदिर का उद्घाटन किया था। अब योगी आदित्यनाथ सरकार इस स्थल को बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। इसे रामायण सर्किट से जोड़ा जाएगा।

इनपुट- महेश जायसवाल

Updated on:
26 Aug 2021 05:42 pm
Published on:
25 Aug 2021 07:19 pm
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