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कफ सिरप का कहर…सरकार बोली – दो साल तक बच्चोंं को न दें खांसी की दवा

मुसीबत: केंद्र सरकार की विशेषज्ञ टीम ने जांच शुरू की, मध्यप्रदेश में एक और बच्चे की मौत

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भारत

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ANUJ SHARMA

Oct 04, 2025

फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

नई दिल्ली/जयपुर/भोपाल. खांसी की साधारण बीमारी के उपचार में दी गई कफ सिरप ने मध्यप्रदेश और राजस्थान में बच्चों पर कहर ढा दिया है। दोनों राज्यों में एक दर्जन बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर स्वास्थ्य अधिकारियों को कहा है कि दो साल के बच्चों को खांसी की दवा न दें। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं के सेंपल की जांच रिपोर्ट के आधार पर माना है कि उनमें डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) या एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) जैसे घातक रसायन मौजूद नहीं हैं। ये दोनों रसायन किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं जबकि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने के कारण ही बच्चों की मौत हुई है। शुक्रवार को भी मध्यप्रदेश में एक बच्चे की अस्पताल में मौत हुई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि बच्चों की मौत का वास्तविक कारण जानने के लिए एनसीडीसी, एनआईवी, आईसीएमआर, एम्स नागपुर और राज्यों के स्वास्थ्य प्राधिकारियों की टीम जांच कर रही है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी), सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) समेत विभिन्न संस्थानों की टीम ने मौके से विभिन्न नमूने एकत्र किए। मध्यप्रदेश राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एसएफडीए) ने भी तीन सैंपल की जांच की, जिसमें डीईजी/ईजी की पुष्टि नहीं हुई। इसी दौरान पुणे स्थित एनआईवी ने ब्लड/सीएसएफ के सैंपल की जांच में एक केस में लेप्टोस्पायरोसिस की पुष्टि की है। मंत्रालय ने कहा कि पानी, मच्छरों और अन्य नमूनों की जांच अभी नीरी, एनआईवी पुणे व अन्य प्रयोगशालाओं की ओर से की जा रही है।

मध्यप्रदेश: 12 बच्चे जूझ रहे मौत से

छिंदवाड़ा के परासिया क्षेत्र में कफ सिरप लेने के बाद किडनी फेल होने से अस्पताल में भर्ती एक और बच्चे ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। मरने वालों की संख्या नौ हो गई है जबकि 12 अन्य बच्चे गंभीर हालत में नागपुर और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में मौत से संघर्ष कर रहे हैं। सभी बच्चों की उम्र 5 वर्ष से कम है। मृत बच्चों के घर से कोल्ड्रिफ और नेक्सट्रॉस-डीएस सिरप मिले थे। आइसीएमआर और स्वास्थ्य विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन कलेक्टर ने इनकी बिक्री और उपयोग पर रोक लगाई तथा मेडिकल स्टोर्स से स्टॉक जब्त कर सील कराया। डॉक्टर ने उन्हें वही कफ सिरप लिखा था जिसे बाद में प्रशासन ने प्रतिबंधित कर दिया।

रिपोर्ट पर केंद्र-राज्य में विरोधाभास

मध्यप्रदेश में कफ सिरप लेने के बाद किडनी फेल होने से नौ बच्चों की मौत के बाद दवा सेंपल की लेबारेटरी जांच को लेकर विरोधाभास सामने आ रहा है। केंद्र सरकार ने कहा है कि मध्यप्रदेश में मरने वाले बच्चों के पास मिली दवा के सेंपल की जांच में प्रतिबंधित घातक रसायन डीईजी/ईजी की पुष्टि नहीं हुई है। उधर, छिंदवाड़ा के सीएमचओ डॉ.धीरज दवंडे ने कहा कि दवाओं के सेंपल की जांच रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई है।

राजस्थान: बच्चों के लिए प्रतिबंधित लेकिन दवा को क्लीन चिट

राज्य सरकार की नि:शुल्क दवा योजना में सप्लाई की गई डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन कफ सिरप को राज्य सरकार ने जांच के बाद शुक्रवार को क्लीन चिट दे दी है। हालांकि यह सिरप बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं है। सीकर और भरतपुर के तीन बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग ने कंपनी की ओर से आपूर्ति की गई दवा के सैंपलों की जांच करवाई थी। जिसमें दूषित होने व डीईजी, ईजी का संभावित स्रोत हानिकारक प्रोपाइलीन ग्लाइकोल नहीं पाया गया। सिरप जयपुर की केयसंस फार्मा ने सप्लाई की थी। इससे पहले राज्य सरकार प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी कर कह चुकी है कि डॉक्टरों की सलाह के बिना वयस्कों की दवा बच्चों को दी गई थी। राजस्थान में मौतों के बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दवा डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन आधारित पाई गई, जो बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी

• दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी/सर्दी की दवा न दी जाए। बच्चों में खांसी-जुकाम आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाते हैं, ऐसे में आराम, हाइड्रेशन और सहायक उपचार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

• सामान्यतया 5 साल से कम उम्र के बच्चों में भी दवाओं का उपयोग नहीं किया जाए।

• बड़ी उम्र के बच्चों में भी दवा केवल डॉक्टर की सलाह पर समुचित खुराक ही दी जाए।

• एक साथ कई दवाओं के कॉम्बिनेशन से बचा जाए और दवा कम से कम अवधि तक दी जाए।

• सभी स्वास्थ्य संस्थाएं केवल प्रमाणित गुणवत्ता वाली दवाएं ही खरीदें।


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