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लॉकडाउन में बिगड़ी परिवार की आर्थिक हालत, कमाने निकल गया था 15 वर्षीय रेहान

locationभरतपुरPublished: Sep 22, 2020 04:05:22 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-16 दिन बाद लौट आई परिवार की खुशियां, मां सीमा ने देखा रेहान तो गले लगाते ही निकले खुशी के आंसू

लॉकडाउन में बिगड़ी परिवार की आर्थिक हालत, कमाने निकल गया था 15 वर्षीय रेहान

लॉकडाउन में बिगड़ी परिवार की आर्थिक हालत, कमाने निकल गया था 15 वर्षीय रेहान

भरतपुर. प्रतापनगर कॉलोनी निवासी 15 वर्षीय रेहान शर्मा के लापता होने की कहानी ने हर आदमी को झकझोर कर रख दिया। क्योंकि वह लॉकडाउन के कारण घर की आर्थिक हालत खराब होने पर कमाने के लिए ही घर छोड़कर निकल गया था। वह मथुरा में एक ढाबे पर कैश काउंटर संभाल रहा था। यहां उसका वेतन भी पांच हजार रुपए प्रतिमाह व रहना-खाना तय हुआ था। उसके परिजन तलाश कर रहे थे। सोमवार को रेहान के फूफा हरगोविंद मिश्रा उसकी तलाश करते हुए वहां पहुंच गए। उल्लेखनीय है कि कोतवाली थाने में दर्ज कराई गुमशुदगी रिपोर्ट में मनोज कुमार शर्मा पुत्र रामशरण शर्मा निवासी प्रताप कॉलोनी ने बताया था कि पांच सितंबर को दोपहर करीब एक बजे उसका बेटा रेहान घर से निकल गया था। फुटेज में वह कुम्हेर गेट से ऑटो से रेलवे स्टेशन से पहुंचना पाया गया था। इस प्रकरण को लेकर राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने भी एसपी को निर्देश दिए थे। साथ ही व्यापार महासंघ ने भी ज्ञापन दिए थे।
दोपहर करीब तीन बजे बालक रेहान शर्मा को साथ लेकर उसके फूफा हरगोविंद मिश्रा प्रताप नगर कॉलोनी स्थित आवास पर पहुंचे। जहां बेटे को देखकर उसकी मां सीमा शर्मा व पिता मनोज शर्मा, बहन जान्हवी शर्मा उसको गले लगाकर रोने लगे। इन्हें देख वहां मौजूद कॉलोनी के हर शख्स की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। रेहान के वापस आने की सूचना कोतवाली थाना पुलिस को दी गई। एसएचओ कैलाश मीणा ने उसके घर जाकर बालक के बयान दर्ज किए। परिजनों ने बेटे के वापस आने की खुशी में मिठाई खिलाई। जहां से बाल कल्याण समिति लेकर पहुंचे, जहां बालक के बयान दर्ज करने के बाद वह परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया।
रेहान से मांगा था घर का नंबर, ईमानदारी का हो गया कायल

रेहान शर्मा पांच सितंबर को सुबह घर से निकलने के बाद कुम्हेर गेट से ऑटो में सवार हुआ। वहां से रेलवे स्टेशन पहुंचा। जहां से मथुरा पहुंचने के बाद उसने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। जहां एक ढाबा मालिक से मुलाकात की तो पांच हजार रुपए महीना व रहने-खाने की शर्त पर नौकरी मिल गई। एक-दो दिन तक ढाबा मालिक ने उससे परिजनों के मोबाइल नंबर भी मांगे, लेकिन रेहान ने देने से इंकार कर दिया। दो-चार दिन में ही ढाबा मालिक रेहान की ईमानदारी का कायल हो गया। उसे ढाबे के कैश काउंटर पर बैठा दिया। अब तक उसने 150 रुपए ही लिए थे। फूफा हरगोविंद मिश्रा जब ढाबों पर तलाश कर रहे थे तो एक ढाबे पर रेहान पानी पीते हुए दिखा। जब ढाबा मालिक से पूछा तो उसका पता चल गया। इसके बाद वे उसे साथ लेकर रवाना हुए।
लॉकडाउन से ही तनाव में था, पिता भी थे परेशान

रेहान के पिता मनोज शर्मा फोटोग्राफर का काम करते हैं, इस बार कोरोना संक्रमण की आशंक के चलते लॉकडाउन रहा और शादियां व अन्य कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं। ऐसे में घर की आर्थिक हालत बहुत खराब हो चुकी थी। उसके पिता व अन्य परिजन भी तनाव में चल रहे थे। इस पर रेहान ने ही कुछ करने का निर्णय लिया। ऐसे में वह नौकरी करने के लिए निकल गया। बताते हैं कि रेहान पढ़ाई में भी होशियार है।
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