6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बीडीए के चक्कर लगा रहे खातेदार, अब विकसित भूखंड दिए बगैर खुदाई

-संभाग की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी से जुड़ा मामला, अब तक पहेली बनी हुई है कॉलोनी

2 min read
Google source verification

संभाग की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी से जुड़ा मामला, अब तक पहेली बनी हुई है कॉलोनीभरतपुर. करीब 19 साल से शहर की जनता का सपना बन रही संभाग की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी को लेकर फिर एक और विवाद गहरा गया है। अलख-झलक बगीची के समीप श्रीनगर गांव में भरतपुर विकास प्राधिकरण की ओर से बगैर मुआवजा दिए जमीन की खुदाई करने पर विवाद हो गया। बीडीए ने उद्यान बनाने के लिए ली जमीन की मालिक को सूचना दिए बगैर ही 12 फीट गहरी खुदाई करा दी थी। विरोध के बाद काम रुकवा दिया गया।

जमीन मलिक पुत्र लक्ष्मन सिंह निवासी धाऊपासा ने बताया कि काली की बगीची से नेशनल हाईवे पर अलख-झलख बगीची के समीप हमारे परिवार बच्चू सिंह, जग्गो सिंह, पदम सिंह, खुन्नी सिंह के नाम साढ़े आठ बीघा जमीन है। इसकी भरतपुर विकास प्राधिकरण की ओर से सूचना दिए बगैर 12 फुट से ज्यादा जमीन को खोद दिया है। इसको लेकर विरोध के बाद मौके पर काम को रुकवा दिया है। 15 साल पहले जब सेक्टर 13 कॉलोनी को यूआईटी की ओर से लिए लिया गया था। तब 25 प्रतिशत जमीन के लिए फाइल लगाई थी। इसमें 20 प्रतिशत भूमि आवासीय व पांच प्रतिशत भूमि व्यवसाय के लिए थी, लेकिन तब से अब तक बीडीए के चक्कर लगा दिए हंै, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। अब हमने जमीन देखी तो इसमे लम्बा गहरा गड्ढा खोद दिया है। इसको लेकर हमारा विरोध है। बीडीए की ओर से कोई भूमि दिए बगैर पोकलेन मशीन से गहरा गड्ढा खो दिया है। अधिकारियों के मौके पर पहुंचने पर 25 प्रतिशत भूखंड देने की मांग की गई।

सपना बन रहे भूखंड

सेक्टर नम्बर 13 की 346.86 हैक्टर भूमि मतलब 2168 बीघा जमीन है, जो कि नगर सुधार न्यास की ओर से 2005 में किसानों से एक्वायर कर अधिसूचना जारी की गई थी। इसके बाद 2007 में इस भूमि का गजट नोटिफिकेशन हुआ। बाद में एक सितम्बर 2011 को अवार्ड अनुमोदन हुआ काफी समय तक किसानों व सरकार के बीच मुआवजे को लेकर विवाद हुआ। चार दिसम्बर 2014 को मुआवजा राशि के स्थान पर 25 प्रतिशत विकसित भूमि सरकार की ओर से किसानो को देने पर सहमति बन गई। अभी तक यह काम भी अधूरा है।

बार-बार अटकी फाइल

15 फरवरी 2020 को ऑनलाइन आवेदन किया गया। इसमें एनबीडब्लूएल की स्वीकृति मिले, इसके लिए वन एवं पर्यावरण की स्वीकृति नई दिल्ली की राष्ट्रीय 67वीं बैठक में रखा, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली। जब स्वीकृति नहीं मिली तो दुबारा से ले-आउट प्लान में नगर सुधार न्यास की ओर से संशोधन किया गया। इसमें इको सेंसेटिव जोन को अलग करते हुए इस स्कीम को दो भागों में विभाजित करने का फैसला न्यास की बैठक में लिया गया। इको सेंसेटिव का नया प्लान तैयार किया गया, लेकिन बाद में 26 अप्रैल 2023 को 500 मीटर के स्थान पर एक किलोमीटर कर दिया था। बाद में इसमें छूट दे दी गई।

इनका कहना है

-आसपास की कॉलोनियों में जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए पानी इकट्ठा करने के लिए खुदाई की गई है। अगर लोगों के जो इश्यु है उसके निस्तारण के लिए तहसीलदार से बात कर मामले का निस्तारण कराएंगे।

योगेन्द्र कुमार, अधीक्षण अभियन्ता, भरतपुर विकास प्राधिकरण