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भरतपुर: विश्वेन्द्र सिंह का दावा निरस्त, याचिका में पूर्व राजपरिवार ने की थी ये मांग; कोर्ट ने कहा- ये मेरे क्षेत्राधिकार में नहीं

पूर्व राज परिवार के सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह द्वारा संपत्ति एवं भरण-पोषण के पेश किए गए प्रार्थना पत्र एसडीएम कोर्ट ने निरस्त कर दिए।

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Bharatpur former royal family Vishvendra Singh case update against wife and son

भरतपुर। पूर्व राज परिवार के सदस्य एवं पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह की ओर से अपनी पत्नी पूर्व सांसद दिव्या सिंह एवं पुत्र अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ उपखंड अधिकारी के यहां संपत्ति एवं भरण-पोषण के पेश किए गए प्रार्थना पत्र पर एसडीएम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुना दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला इस न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं है। न्यायालय ने प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए प्रार्थी को सिविल कोर्ट में दावा पेश करने को कहा है।

प्रार्थी के अधिवक्ता यशवंत फौजदार ने बताया कि पूर्व केबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह की ओर से 6 मार्च को एसडीएम कोर्ट में 5 लाख रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण के साथ मोती महल एवं कोठी दरबार पर कब्जा दिलाने की मांग की थी। इस प्रार्थना पत्र के बाद पूर्व सांसद दिव्या सिंह एवं पुत्र अनिरुद्ध सिंह की ओर से प्रारंभिक आपत्तियां दर्ज कराई गई थीं। दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने इस मामले में बहस की। इसके बाद इस मामले में न्यायालय की ओर से तारीख दी गईं। गुरुवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पूर्व मंत्री के प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए कहा कि इस मामले को सुनने का क्षेत्राधिकार इस न्यायालय को नहीं है। ऐसे में प्रार्थी को सिविल न्यायालय में दावा पेश करना चाहिए।

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पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंहद्वारापेश प्रार्थना पत्र

पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने प्रार्थना पत्र में लिखा था कि प्रार्थी वरिष्ठ नागरिक है और हृदय रोग से पीड़ित है। मैं दो बार कोरोना से पीड़ित हुआ, लेकिन पत्नी एवं बेटे ने कोई शारीरिक व मानसिक सहायता नहीं की। वर्णित संपत्तियां मेरी एकल स्वामित्व की हैं, जो उसे अपने पिता से वसीयत के जरिए प्राप्त हुई हैं। पत्नी व बेटे ने कुछ वर्र्षों से मिलकर मेरे साथ बगावत जैसा रवैया अपनाना प्रारंभ कर दिया। मेरे पहनने के कपड़े फाड़कर कुएं में फेंक दिए व जला दिए। कागजात-रिकॉर्ड आदि फाड़ दिए और गाली-गलौच कर कमरों से सामान निकालकर बाहर फेंक दिया। यहां तक चाय-पानी तक बंद करा दिया। खाना भी आधा-अधूरा ही मिलता था। बिना अनुमति के बाहर आना-जाना भी बंद कर दिया।

आरोप लगाया था कि मेरे साथ मारपीट तक शुरू कर दी गई और एक कमरे तक सीमित कर दिया। इसके बाद मुझे घर छोड़कर जाना पड़ा। मैं तभी से खानाबदोश की तरह रह रहा हूं। जब भी मैं भरतपुर आता तो मुझे अपने निवास में नहीं घुसने दिया गया। मैंने घर से जाते समय घर स्टोर में कीमती वस्तुएं छोड़ी हैं, जिनकी कीमत करोड़ों रुपए में है। मेरे स्वामित्व के 912 लाख के सोने-चांदी के जवाहरात व आभूषण तथा 25 लाख के वह आभूषण जो मैंने पत्नी दिव्या सिंह को अंतरित किए थे, वह उनके कब्जे में है। प्रार्थना पत्र में 5 लाख रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण राशि की मांग की गई थी।

अब यह हो सकता है आगे...

अधिवक्ता यशवंत सिंह फौजदार बताते हैं कि अब एसडीएम कोर्ट ने सक्षम न्यायालय में दावा पेश करने की बात कही है। अब प्रार्थी आगे इस मामले की अपील जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में कर सकते हैं। साथ ही किसी भी सिविल एवं क्रमिनल न्यायालय में भी लिटीगेशन दे सकते हैं। इसके अलावा प्रार्थी सीधे हाईकोर्ट में जा सकते हैं, जहां इस मामले की सीधी सुनवाई हो सकती है।