नहीं मिलता मुआवजा क्योंकि यह खेती न बागवानी में न कृषि में बदलती मौसमी परिस्थितियों की मार पान की खेती पर भी पड़ी है। इसकी वजह से यह खेती अब लाभदायक नहीं रही है। वहीं दूसरी ओर इस खेती में होने वाले नुकसान का कोई मुआवजा भी नहीं मिल पा रहा है क्योंकि यह न तो बागवानी में और न ही कृषि में शामिल कर रखी है। पान की खेती करने वाली सीमा इन सब समस्याओं से जूझती हुई निरन्तर अपने काम में जुटी हुई है। वह कहती है कि मुनाफा चाहे कम मिल रहा है लेकिन इस काम के अलावा उसके पास अन्य कोई रास्ता भी नहीं दिखाई देता। वह अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाकर अन्य कार्य करने के लिए प्रेरित कर रही है। इस गांव से करीब 200 परिवार पान की खेती छोड़कर पलायन कर चुके हैं। सीमा का कहना है कि यदि उन्हें भी पान अनुसंधान संस्थान से नवीन तकनीक एवं क्रियाओं की जानकारी मिल जाए तो वे इस खेती को पुर्नजीवित कर सकते हैं।