
क्लिंकर प्लांट: भरतपुर पर मंडराया वायु प्रदूषण का बड़ा खतरा
भरतपुर. शहर के रेल गोदाम स्थित क्लिंकर प्लांट के मामले में बुधवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में सुनवाई हुई। इसमें सुनवाई अब चार सप्ताह बाद करने का समय दिया गया है। साथ ही एक और नया खुलासा हुआ है कि क्लिंकर प्लांट पर रैक से माल अनलोडिंग से पहले उस एरिया में वायु प्रदूषण 345 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर था, जबकि अनलोडिंग के दौरान वायु प्रदूषण 697 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर निकला। हालांकि चार मार्च का भी वायु प्रदूषण का स्तर 610 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर बताया गया है। मार्च के वायु प्रदूषण के स्तर की रिपोर्ट पर आंदोलन कर रहे कॉलोनी के लोगों ने भी सवाल उठाया है। उल्लेखनीय है कि स्थानीय लोगों की ओर से बार-बार जिला प्रशासन को ज्ञापन देने और प्रदर्शन करने के बाद अब एनजीटी ने क्लिंकर से फैल रहे प्रदूषण के स्तर की जांच के लिए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और चिकित्सा विभाग के एक चिकित्सक की टीम गठित की गई थी। यह टीम क्लिंकर से पहले, क्लिंकर खाली होने के दौरान और क्लिंकर खाली होने के बाद फैल रहे प्रदूषण के स्तर की जांच कर चुकी है। सोमवार को डॉ. उदित चौधरी ने कॉलोनीवासियों के स्वास्थ्य जांच की थी। इसमें प्रथम दृष्टया सामने आया था कि यहां की ज्यादातर आबादी खुजली, सांस आदि रोगों से पीडि़त है। इस प्रकरण को लेकर सात जुलाई को एनजीटी में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने निर्णय लिया कि इस प्रकरण की अगली सुनवाई के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है। वहीं रिपोर्ट में चार मार्च 2021 को भी नमूना लेकर वायु प्रदूषण की रिपोर्ट दी गई है। जो कि 610 है।
50 तक ठीक है उससे बढ़ता गया तो खतरनाक होता जाता है।
दुनियाभर में हुए तमाम शोध व अध्ययन बताते हैं कि इंसानी स्वास्थ्य के लिहाज से पीएम 2.5 बेहद खतरनाक होता है, क्योंकि यह बेहद महीन प्रदूषक कण होते हैं जो सांस के साथ फेफड़ों में गहराई तक जाकर जमा हो जाते हैं। इससे कई तरह की सांस संबंधी बीमारियां, शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र संबंधी बीमारियां, कार्डियोवेस्कुलर बीमारियां व रक्त विकार हो सकते हैं। लगातार इस तरह के वातावरण में रहना जहां पीएम 2.5 स्वीकृत मात्र से अधिक है, वह प्राणघातक हो सकता है।
प्रशासन खुलवाना चाहता है क्लिंकर प्लांट
कॉलोनी के विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि चार मार्च को किसके कहने पर वायु प्रदूषण की जांच की गई। यह सब सवालों के घेरे में है। इस बारे में कॉलोनी के लोगों को भी अवगत नहीं कराया गया। शत प्रतिशत प्रशासन चाहता है कि प्लांट को चालू कराया जाए। इसमें कुछ के हित सध रहे हैं। इसलिए कॉलोनियों के लोगों को नारकीय जीवन जीने पर मजबूर किया जा रहा है।
बुलंद होने लगी आवाज, बोले: जारी रहेगा आंदोलन
-हम छत पर नहीं बैठ सकते। सांस लेने में दिक्कत होती है। क्लिंकर जब चलता है तो घर का दरवाजा बंद कर अंदर ही रहना पड़ता है।
नीरज, रूंधिया नगर
-क्लिंकर प्रशासन की मिलीभगत से चल रहा है। प्रशासन इसे दोबारा शुरू करना चाहता है। यह लोगों के साथ धोखा है। पहले मंत्री से भी मिले थे। उन्होंने भी आश्वासन दिया है लेकिन लगता है मंत्रीजी किसी न किसी कारण से चुप है।
सत्यवीर फौजदार, रूंधिया नगर
-क्लिंकर के चलने से दर्जनों कॉलोनी प्रभावित हो रही है। इसमें सबसे ज्यादा बुजुर्गों पर फर्क पड़ रहा है। मैं अपने पिताजी को कमरे के अंदर ही रखता हूं। छत पर भी नहीं ले जा सकता। प्रशासन इसे बंद कराए। वरना आंदोलन करेंगे।
गोपाल सिंह, रूंधिया नगर
-जब काम चलता है तो आसमान में धुंध सी छाई रहती है। सांस लेने में दिक्कत होती है। हमारे घर से काफी दूर है लेकिन वाहनों पर पर क्लिंकर की परत सी जमा हो जाती है।
मधु, अग्रसेन नगर
-क्लिंकर चलता है जब बच्चों को बाहर खेलने भी नहीं जाने देते। दिन भर रेत का गुबार सा उठता रहता है।
सीमा शर्मा, अग्रसेन नगर
-क्लिंकर चलने के दौरान घर का कूलर बंद करना पड़ता है। क्योंकि पूरी डस्ट अंदर जमा हो जाती है। प्रशासन को बंद करना चाहिए।
अनिल अग्रवाल, अग्रसेन नगर
-क्लिंकर जब चलता है तो खांसी होती रहती है काफी दिन तक तो समझ में नहीं आया कि यह धुंध कहां से आ रही है। बच्चों का बाहर निकलना भी बंद कर दिया है।
भावना, अग्रसेन नगर
-मकान में धूल सी आती रहती है। स्टील की रेलिंग पर क्लिंकर की परत जम गई है। प्रशासन इसे बंद कराए।
महेंद्र कुमार, रूंधिया नगर
Published on:
08 Jul 2021 04:47 pm
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