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Rajasthan New District : राजस्थान के एक और नए जिले पर मंडराया खतरा! भजनलाल सरकार की समीक्षा ने बढ़ाई टेंशन

हाल ही में उपमुख्यमंत्री सहित 5 मंत्रियों की एक केबिनेट सब कमेटी बनाकर जिलों की समीक्षा रिपार्ट मांगी है। इसके बाद से ही नवगठित 17 जिलों में शामिल इस जिलेवासियों की चिंता बढ़ना शुरू हो गई।

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cm bhajanlal sharma

New District in Rajasthan : भजनलाल सरकार ने राजस्थान में गठित नए जिलों की समीक्षा के लिए समिति गठित की है। समिति की रिपोर्ट पर सरकार गुणावगुण के आधार पर विश्लेषण कर नए जिलों के गठन की समीक्षा करेगी। प्रदेश में नए जिलों के गठन की समीक्षा ने डीग क्षेत्र के लोगों की चिंता बढा दी है। नए जिलों की समीक्षा में डीग जिला आता है तो जनता को मिलने वाली सुविधाओं व राहत को चोट लगेगी। चर्चा यह है कि सरकार प्रदेश में कुल 50 जिलों में से 10 जिलों को कम कर सकती है।

राजस्थान सरकार ने हाल ही में उपमुख्यमंत्री सहित 5 मंत्रियों की एक केबिनेट सब कमेटी बनाकर जिलों की समीक्षा रिपार्ट मांगी है। इसके बाद से ही नवगठित 17 जिलों में शामिल डीग जिलेवासियों की चिंता बढ़ना शुरू हो गई। बता दें कि सरकार ने हाल ही में मालपुरा, कुचामन और सुजानगढ़ जिलों को रद्द किया है। पूर्ववर्ती सरकार ने 6 अक्टूबर को प्रदेश में 3 और मालपुरा, कुचामन और सुजानगढ़ को जिला बनाने की घोषणा की थी। लेकिन नोटिफिकेशन जारी नहीं हो सका।

डीग जिला बनने की मांग कई दशकों पुरानी है। तकरीबन 14 साल पहले जन-जागरण विकास मंच एवं राष्ट्रीय एकता संस्थान की ओर से 6 जुलाई 2010 से 5 नवंबर 2010 तक शहर के पुराना बस स्टैंड चिकित्सालय के सामने 123 दिन धरना दिया गया। कई बार रैलियां, वाहन रैली, पैदल मार्च, भूख हड़ताल सहित प्रदर्शन किए गए। मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों को पत्र भेजे गए।

वहीं, जिले की मांग को लेकर न्यायालय परिसर में बार एसोसिएशन के नेतृत्व में अधिवक्ताओं की ओर से तकरीबन 119 दिन सांकेतिक धरना दिया गया। धरने को विभिन्न संगठनों, राजनैतिक लोगों, सामाजिक संस्थाओं सहित व्यापारियों का पुरजोर समर्थन मिला। कई गांवों के साथ कई संगठनों ने न्यायालय परिसर पंहुचकर अधिवक्ताओं के धरने का समर्थन भी किया। धरने के समर्थन में 4 जनवरी 2023 को व्यापार महासंघ के सहयोग से डीग के बाजारों को ऐतिहासिक बंद रखा गया। भाजपा के पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने भी जिले की मांग को लेकर न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के धरने को समर्थन भी दिया।

सरकार का मानना समीक्षा जरूरी

डीग के जिला बनने के बाद क्षेत्र के अंतिम छोर लिए लोगों को समस्याओं के समाधान के लिए 80 किलोमीटर दूर जाने से छुटकारा मिला है। यहां जिला कलक्टर का कार्यालय, पुलिस अधीक्षक, पुलिस लाइन सहित सभी जिला स्तरीय कार्यालय शुरू हो गए हैं। वर्तमान सरकार का मानना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने आनन फानन में बिना मापदंडों के 17 नए जिले बना दिए। इसलिए इनकी समीक्षा जरूरी है।

जानिए किसने क्या कहा?

डीग के जिला बनने के बाद ब्रज पर्यटन क्षेत्र के बढावा से होटल-उद्योग व्यवसाय को बढ़ावा मिलने की उमीद जागी है। जिला बनने से व्यापारिक गतिविधियों के साथ रोजगार के अवसर मुहैया होंगे। ऐसे में अगर डीग जिले से वंचित होगा तो इस पर विराम लगेगा।
-राकेश गोयल अराधना, व्यवसायी डीग

डीग को जिला बनाने की मांग जनता की वर्षों पुरानी मांग रही है। जिसे पूर्ववर्ती सरकार ने पूरा किया है। जिला बनने के बाद क्षेत्र के विकास के साथ यहां रोजगार की उमीदें जागी हैं। सरकार की जिलों की समीक्षा ने क्षेत्र के लोगों की चिंता बढा दी है।
-एडवोकेट मनोज बंसल, वरिष्ठ अधिवक्ता डीग

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने डीग को जिला बनाने की सौगात देकर इतिहास रचा है। जिला बनने के बाद रोजगार के अवसर बढने की उमीदें हैं। अगर डीग को जिले के दर्जे से दूर किया जाएगा तो यह जनता के सपनों पर कुठाराघात होगा।
-लोकेश गुर्जर बबलू, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष डीग

क्षेत्र के विकास के लिए तत्कालीन केबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने डीग को अलग से जिला घोषित करवाया था, लेकिन अगर अब वर्तमान सरकार लोगों की उमीदों को दरकिनार करती है तो यह जनता के मान-समान के खिलाफ होगा।
-देवेन्द्र सिंह सिनसिनवार, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन डीग

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