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कपड़ों की बची कतरन से बनाई स्कर्ट, किसान पिता का सहारा बनी संगीता

locationभरतपुरPublished: Oct 26, 2020 01:20:47 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-बयाना के दहगांवा की युवती ने लिखी सफलता की कहानी, खुद का नया प्रयोग कर पाई सफलता

कपड़ों की बची कतरन से बनाई स्कर्ट, किसान पिता का सहारा बनी संगीता

कपड़ों की बची कतरन से बनाई स्कर्ट, किसान पिता का सहारा बनी संगीता

भरतपुर. बयाना के दहगांवा की युवती संगीता की सफलता की कहानी भी प्रेरणा से कम नहीं है। क्योंकि भले ही उसने छोटा प्रयोग कर सफलता प्राप्त की है, लेकिन उसके इस प्रयोग ने सफलता के साथ ही उसे नई पहचान भी दी है। संगीता ने जब किसान पिता की स्थिति को देखा तो सिलाई के माध्यम से ही कुछ नया करने का संकल्प लिया। ऐसे में उसने कपड़ों की बची हुई कतरन से स्कर्ट बनाना सीखा। उन्हीं स्कर्ट पर विशेष कारीगरी कर उन्हें जब मार्केट में भेजा तो वो काफी पसंद की गई। जयपुर में उसकी बनाई दो डिजायनों को बड़े व्यापारियों ने भी खासा पसंद किया है। यह महिला स्वरोजगार की पहल का ही प्रमाण है कि अब वह खुद ही इस काम को आगे बढ़ा रही है।
दहगांवा की संगीता स्नातक तक पढ़ाई कर चुकी है। अधिकतर समय घर पर ही रहकर घर के काम करती थी। पिता खेती करते थे तथा आमदनी बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी। अतिरिक्त पढाई का व्यय उठाना पिता के लिए संभव नहीं हो पा रहा था। वर्ष २०१८ में परिधान उत्पादन प्रशिक्षण केंद्र बयाना से तीन माह का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद छह से आठ माह तक स्कर्ट व शर्ट बनाने का कार्य किया। इसमें २५० से ३०० रुपए प्रतिदिन कमाने के बाद पढ़ाई भी शुरू कर दी। इसके बाद नया प्रयोग करने का प्रण लिया तो कपड़े की बची हुई कटिंग से स्कर्ट बनाई, जो कि सफल प्रयोग रहा। उसे बहुत पसंद किया गया। जब यह कार्य आमदनी देने लगा तो किसान पिता ने भी सिलाई का काम सीख लिया।
स्वरोजगार को ही बनाया आमदनी का नया स्त्रोत

संगीता को जयपुर से कटिंग पट्टी मिली। इससे उन्न्होंने स्कर्ट बनाने का कार्य शुरू किया। उन्हों पिता, भाई व एक संस्था के सहयोग से पांच जैक मशीनों की एक सिलाई यूनिट स्थापित की।। १० अन्य महिलाओं को को भी इस कार्य की ट्रेनिंग प्रदान की। प्रत्येक कारीगर नौ से 1२ हजार रुपए प्रतिमाह कमा रहा है तो खुद संगीता 18 से 20 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रही है। बताते हैं कि जिले के ग्रामीण इलाकों में ऐसी सैकड़ों महिलाओं ने सिलाई का काम सीखकर सफलता की कहानी लिखी है। आज भी परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में ये महिलाएं सफल साबित हुई हैं। हालांकि जानकार यह भी बताते हैं कि अभी भी कुछ इलाकों में योजनाओं की जानकारी के अभाव में महिलाएं उनका लाभ नहीं उठा पाती है। इससे वह अपने हुनर का प्रदर्शन नहीं कर पाती है। ऐसे में जरूरी है कि महिलाओं को भी इनकी सफलता की कहानियों से प्रेरणा लेकर हुनर का प्रदर्शन करना चाहिए।

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