script176 साल बाद भी गंगा मंदिर को भागीरथ का इंतजार | Ganga temple awaits Bhagirath | Patrika News

176 साल बाद भी गंगा मंदिर को भागीरथ का इंतजार

locationभरतपुरPublished: Aug 05, 2021 02:21:18 pm

Submitted by:

Meghshyam Parashar

-जिस ठेकेदार ने कार्य किया, उसी ने बिगाड़ा काम, टपक रहीं मंदिर की छत

176 साल बाद भी गंगा मंदिर को भागीरथ का इंतजार

176 साल बाद भी गंगा मंदिर को भागीरथ का इंतजार

भरतपुर. ऐतिहासिक गंगा मंदिर परिसर में मंदिर की छत टपक रही है। बीते दो साल से मंदिर की छत में बरसात के मौसम में सीलन आ जाती है और पूरे परिसर में पानी टपकता रहता है। इससे श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वैदिक काल से ही माना जाता है कि गंगा माता सभी कष्टों को हर लेती हैं, लेकिन भरतपुर का ऐतिहासिक गंगा मंदिर इन दिनों संकट के दौर से गुजर रहा है। इस ऐतिहासिक मंदिर को आज खुद के उद्धार के लिए भागीरथ का इंतजार है।
रियासतकालीन ऐतिहासिक गंगा मंदिर की बदहाली का आलम यह है कि बीते दो वर्ष से मंदिर परिसर की छत टपक रही है। आकाशीय बिजली से बचाने के लिए लगाया गया तडि़त चालक भी बीते कई वर्षों से टूटा हुआ पड़ा है। मंदिर के पुजारी चेतन शर्मा ने बताया कि साल 2019 में देवस्थान विभाग और पुरातत्व विभाग की ओर से लाखों रुपए खर्च कर मंदिर के जीर्णोद्धार के तहत छत का पुनर्निर्माण कराया गया, लेकिन जब से मंदिर में जीर्णोद्धार का कार्य किया गया है तभी से ऐतिहासिक मंदिर के परिसर की छत टपक रही है। बीते दो सालों से मंदिर की छत में बरसात के मौसम में सीलन आ जाती है और पूरे परिसर में पानी टपकता रहता है। इससे श्रद्धालुओं को भी काफी परेशानी होती है। वहीं, ऐतिहासिक मंदिर को भी नुकसान पहुंच रहा है। देवस्थान विभाग के सहायक आयुक्त केके खंडेलवाल ने बताया कि पुरातत्व विभाग के माध्यम से यह कार्य कराया गया था। इसको लेकर ठीक कराने के लिए पुरातत्व विभाग को पत्र लिखा गया है।
आकाशीय बिजली का भी खतरा

ऐतिहासिक गंगा मंदिर को आकाशीय बिजली से बचाने के लिए निर्माण के समय ही मंदिर के शिखर पर तडि़त चालक लगाया गया था, लेकिन अब मंदिर के शिखर का तडि़त चालक मुड़ा हुआ है और उसका करीब आधा भाग गायब है। गंगा मंदिर आज की तारीख में आकाशीय बिजली से भी सुरक्षित नहीं है। रात के वक्त मंदिर के भवन पर सजावटी रोशनी फेंकने के लिए सालों पहले पर्यटन विभाग ने चारों तरफ की छतरियों में बिजली की बड़ी-बड़ी लाइटें लगवाई, लेकिन देखभाल और रखरखाव के अभाव में ये कीमती लाइटें भी टूट कर बर्बाद हो चुकी हैं।
चोरी हुई पीतल की क्लिप

मंदिर भवन के निर्माण के समय कारीगरों ने मंदिर के पत्थरों और दीवारों को मजबूती प्रदान करने के लिए पीतल की मजबूत क्लिपों से जोड़ा था। इससे दीवारों के पत्थर आपस में जुड़े रहते थे, लेकिन असमाजिक तत्व इन क्लिपों को तोड़कर ले गए हैं इससे अब पत्थरों के बीच में गैप आने लगा है।
90 साल में पूरा हुआ था मंदिर का निर्माण

पुत्र प्राप्ति के बाद भरतपुर के महाराजा बलवंत सिंह ने वर्ष 1845 में गंगा मंदिर की नींव रखी, इसका निर्माण करीब 90 साल में पूरा हुआ। सन 1937 में महाराज सवाई बृजेंद्र सिंह ने मां गंगा की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कराई। तभी से ये ऐतिहासिक मंदिर अपनी भव्यता और आस्था के लिए खासी पहचान रखता है।
हकीकत ये…काम से ज्यादा कमीशन जरूरी

भले ही देवस्थान विभाग ने मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य पुरातत्व विभाग के माध्यम से कराया, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या दोनों ही विभागों ने लाखों रुपए से हुए जीर्णोद्धार कार्य में पारदर्शिता को लेकर ध्यान रखा। चूंकि अक्सर पुरातत्व विभाग हो या देवस्थान विभाग, दोनों के ही ऐसे कार्यों में कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। ऐसे में अधिकारी भी कार्यकारी एजेंसी व ठेकेदारों पर महरबानी रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। पुरातत्व विभाग की कारनामों की सूची ही इतनी लंबी है कि किसी भी स्थान पर काम कराने के बाद आंखू मूंद ली जाती है। नतीजा यह होता है कि कुछ दिन में वह स्थान पूर्व की स्थिति से भी बदतर हो जाता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो