
दलाली के दलदल में जांच, प्रशासन से परे सांच
- जनाना अस्पताल : सुविधाओं पर दलाली का धब्बा
-जिला मुख्यालय स्थित संभाग के सबसे बड़े आरबीएम अस्पताल व जिले के सबसे बड़े जनाना अस्पताल दलालों का गढ़ बने नजर आ रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से अस्पतालों में ढेरों सरकारी सुविधाएं हैं, लेकिन इसका फायदा आमजन को नहीं मिल रहा है। क्योंकि इन अस्पतालों को निजी जांच केन्द्र संचालकों की मिलीभगत से दलाल चला रहे हैं। आलम यह है कि यहां दलाल तय करते हैं कि मरीज की जांच कहां होगी, उसे कौन सी दवा बाहर किस मेडिकल की दुकान से आएगी और ऑपरेशन कब होगा। इस पूरे खेल का खुलासा पत्रिका टीम की रिएलिटी चेक में हुआ। रिपोर्टर ने जो देखा उसने अस्पताल प्रशासन के 'दलाल मुक्त अस्पताल दावे की पोल खोल दी।
पत्रिका रिपोर्टर ने शनिवार सुबह 10 बजे से लेकर दो बजे तक जनाना अस्पताल में पड़ताल की तो सामने आया कि जिन मरीजों को निशुल्क जांच केंद्र के बारे में जानकारी नहीं होती है, उन्हें कुछ सरकारी कर्मचारी व सुरक्षाकर्मी अस्पताल के पीछे व सामने स्थित सोनोग्राफी सेंटर्स पर जांच कराने की सलाह देते हैं, जहां उन्हें 500 रुपए में सोनोग्राफी करानी पड़ती है। इसमें सलाह देने वाले कार्मिक व सुरक्षाकर्मी का भी कमीशन जुड़ा होता है। ऐसे हर केस पर संबंधित को 100 से 200 रुपए कमीशन दिया जाता है। सुबह 12 बजकर 44 मिनट पर अस्पताल के सामने सोनोग्राफी जांच कराने पहुंची राधा पत्नी कृष्णकांत से पूछा तो बताया कि उसके पति को वहां मौजूद एक कर्मचारी ने कहा था कि निजी सेंटर की सोनोग्राफी ज्यादा अच्छी आएगी। ऐसे में वह यहां सोनोग्राफी कराने आए हैं। इसी तरह विरमा देवी ने बताया कि उन्हें वहां मौजूद गार्ड ने कहा कि जांच केन्द्र तो 10 मिनट में बंद हो जाएगा। इसलिए आप अस्पताल के बाहर सेंटर पर सोनोग्राफी करा ले। मैं फोन कर वहां बोल देता हूं।
आउटडोर तीन बजे तक और जांच सिर्फ एक बजे तक
जनाना अस्पताल में सुबह नौ बजे से दोपहर तीन बजे तक आउटडोर चालू रहता है, लेकिन जांच सिर्फ दोपहर एक बजे तक होती हैं। इसके बाद जांच के नाम पर दलाली का खेल चलता है। हालांकि इससे पहले भी काफी जांचें कमीशन के चक्कर में बाहर कराने के लिए मरीजों को मजबूर किया जाता है। जनाना अस्पताल में सोनोग्राफी, खून की सभी तरह की जांच होती हैं। आरबीएम अस्पताल में हाल किसी से छिपे नहीं है। यहां सोनोग्राफी से ज्यादा खून से संबंधित जांच कमीशन के चक्कर में बाहर कराने को मजबूर किया जाता है। इतना ही नहीं यहां निजी केन्द्रों की ओर से दलालों को भी सक्रिय कर रखा जाता है।
केस नंबर एक
जामा मस्जिद निवासी नौसर देवी पत्नी प्रहलादराम दोपहर पौने एक बजे जनाना अस्पताल आई, जहां डॉक्टर ने उन्हें खून की जांच कराने के लिए कहा। एक बजकर नौ मिनट पर खून की जांच कराने पहुंची तो केंद्र बंद था। ऐसे में उन्हें जांच कराने के लिए निजी सेंटर पर जाना पड़ा।
केस नंबर दो
- भावना शर्मा पत्नी प्रेम शर्मा निवासी नौगाया दोपहर एक बजकर 11 मिनटपर आई, तब तक सोनोग्राफी जांच बंद हो चुकी थी। उन्हें भी निजी सोनोग्राफी जांच केंद्र पर जाना पड़ा।
केस नंबर तीन
-चांदपोल गेट निवासी शबा पत्नी साकिब दोपहर एक बजकर 24 मिनटपर खून की जांच कराने पहुंची, लेकिन जांच केंद्र बंद हो चुका था।
केस नंबर चार
- अंकुर पत्नी ज्योति निवासी अग्रसेन नगर जांच कराने आई थी, लेकिन केन्द्र बंद होने से जांच नहीं हो सकी।
केस नंबर पांच
- भूदेवी निवासी सरसैना सोनोग्राफी कराने पहुंची, लेकिन तब तक सेंटर बंद हो चुका था। ऐसे में उन्हें सोनोग्राफी कराने के लिए बाहर जाना पड़ा।
इनका कहना है
इमरजेंसी एवं इनडोर मरीजों के लिए जांच की सुविधा 24 घंटे उपलब्ध है। इसके लिए चिकित्सकों को कॉल पर बुलाते हैं। ओपीडी के मरीज सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। यह समय सरकार की निर्देशिका के अनुसार है। इस समय में जो भी रजिस्ट्रेशन होते हैं, उनकी जांच की जाती है। इसकेे बाद अपराह्न 3 बजे तक सरकार को इसकी ऑनलाइन रिपोर्ट जाती है। मिलीभगत या कमीशन संबंधी आरोप कतई गलत हैं। हम पूरी मॉनिटरिंग रखते हैं। अभी तक कोई ऐसा मामला संज्ञान में नहीं आया है। यदि आया तो निश्चित रूप से कार्रवाई की जाएगी।
- डॉ. रूपेन्द्र झा, प्रभारी जनाना अस्पताल भरतपुर
Published on:
19 Feb 2022 10:12 pm
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